सदियों से नवाबों (Nawabs)के शहर की शान हैं ये इमारतें..

लखनऊ: जिस तरह दिल्ली की पहचान इंडिया गेट है, वैसे ही लखनऊ की पहचान रूमी गेट है. यह लखनऊ की सिग्नेचर बिल्डिंग है. इसे अवध के चौथे नवाब (Nawabs) आसफउद्दौला ने 1784 में बनवाया था. उस वक्त भयंकर अकाल पड़ गया था और लोग भुखमरी से परेशान थे. ऐसे में उन्होंने राहत प्रोजेक्ट के तौर पर बड़ा इमामबाड़ा और रूमी गेट का निर्माण कार्य कराया था. रूमी गेट पर कई फिल्मों और गानों की शूटिंग भी हो चुकी है. लखनऊ आने वाले लोग इसे देखना नहीं भूलते. यहां घूमना निशुल्क है.
देश का सबसे ऊंचा घंटाघर: लखनऊ में देश का सबसे ऊंचा घंटाघर मौजूद है. जी हां जिसकी ऊंचाई 221 फीट है. इस घंटाघर को 1881 में नवाब नसीर उद्दीन हैदर ने जॉर्ज कूपर के स्वागत में बनवाया गया था. जॉर्ज संयुक्त राज्यों का पहला लेफ्टिनेंट गवर्नर था. तब इस घंटाघर को 1.75 लाख रुपये की लागत से बनवाया गया था.1887 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था. घंटाघर देश और विदेश के कोने-कोने से आने वाले पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केंद्र है. यहां पर भी घूमना निशुल्क है.
बड़ा इमामबाड़ा: लखनऊ बड़े इमामबाड़े के बिना अधूरा है. यहां रोजाना देश-विदेश के लगभग 5000 से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं. यहां का टिकट 50 रुपये का है, लेकिन यहां पर घूमना सबसे रोचक है. बड़ा इमामबाड़ा हाल ही में पुरातत्व विभाग की ओर से इसका सौंदर्यीकरण कराया गया है, जिससे इसकी खूबसूरती अब देखते ही बनती है. इसका निर्माण भी नवाब आसफउद्दौला ने ही करवाया था.
रेजीडेंसी: नवाबों के शहर लखनऊ में स्थित रेजीडेंसी अपने अंदर आज भी अंग्रेजों के खिलाफ हुए गदर की यादों को समेटे हुए है. कैसरबाग में बनी रेजीडेंसी करीब 33 एकड़ में फैली हुई है. रेजीडेंसी का निर्माण 1774 में अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने करवाया था. रेजीडेंसी का निर्माण ब्रिटिश रेजीडेंस के कहने पर ही ऊंचे टीले पर करवाया गया था. अवध के नवाब अंग्रेजी रेजिडेंट्स की इसमें मेहमान नवाजी करते थे. रेजीडेंसी आज भी विदेशी सैलानियों के लिए लखनऊ में घूमने की पहली पसंद है. यहां का टिकट भारतीय पर्यटकों के लिए 25 रुपये का, जबकि विदेशी सैलानियों के लिए 300 रुपये का है.
छोटा इमामबाड़ा: छोटा इमामबाड़ा और शाही स्नान दोनों ही पुराने लखनऊ की शान हैं. जब भी बात आती है लखनऊ की या पुराने लखनऊ की तो छोटे इमामबाड़े का जिक्र जरूर आता है. छोटे इमामबाड़े की बात करें तो इसमें शाही स्नान के अलावा बेल्जियम से मंगाए गए झूमर भी हैं. इसका निर्माण अवध के तीसरे नवाब मोहम्मद अली शाह बहादुर ने 1838 में करवाया था. इसकी टिकट बच्चों के लिए 25 रुपये, बड़ों की 50 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए टिकट का दाम 500 रुपये है.
हॉन्टेड कोठी: दिलकुशा कोठी कभी अवध के नवाबों के लिए शिकारगाह और गर्मियों में आरामगाह के लिए मशहूर थी, लेकिन आज उस कोठी को लखनऊ के लोग भूतिया घर के नाम से जानते हैं. यह कोठी यूं तो खंडहर हो चुकी है, लेकिन लखनऊ की खूबसूरत और पहचान की इमारतों में इसका नाम भी शामिल. यहां घूमना निशुल्क है.