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गीता उपदेश : सफलता की राह तक ले जाएंगे गीता के ये 5 उपदेश..

श्रीमद्भगवत गीता में कुल 18 अध्याय दिए गए हैं और इस महापुराण में महाभारत युद्ध में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए धर्म व कर्म के ज्ञान का पूरा संकलन है.  विद्वानों के अनुसार गीता में दिए गए उपदेश मनुष्यों को जीवन में आ रही दुविधाओं से पार पाने का तरीका बताते हैं. कहा जाता है कि गीता के उपदेशों का पालन करने से मनुष्य को जीवन में कभी निराशा हासिल नहीं होती. आज हम आपको गीता के ऐसे ही 5 उपदेशों के बारे मं जानकारी दे रहे हैं जिनका अनुसरण कर आप हर क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं.

क्रोध कर रखें काबू-

गीता में दिए गए उपदेश के अनुसार जो व्यक्ति अपने क्रोध पर काबू नहीं रख सकता है वह कभी सफल नहीं हो पाता. ऐसे व्यक्ति क्रोध में आकर अपना सबकुछ खो बैठते हैं और गलत कार्य कर देते हैं. क्योंकि क्रोध में व्यक्ति सही गलत की समझ भूल जाता है. इसलिए कभी भी क्रोध को खुद पर हावी न होने दें.

सकारात्मक सोच है जरूरी

गीता के अनुसार मनुष्य को हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए. क्योंकि सकारात्मक सोच होने पर आप कभी निराश नहीं होंगे और परेशानी के समय शांत दिमाग से उसका हल निकाल सकेंगे.

मन पर करें नियंत्रण

गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था कि अपने मन को काबू में रखें. जिस व्यक्ति ने मन पर काबू पा लिया वह बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से दूर रहता है. साथ ही अपने लक्ष्य की प्राप्ति पर फोकस रखता है.

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करें आत्म मंथन-

गीता के अनुसार मनुष्य को आत्म मंथन अवश्य करना चाहिए. ताकि वह सही गलत की पहचान कर सके और सही रास्ते का चुनाव कर सके. भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार एक व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई ज्ञान नहीं दे सकता. इसलिए मनुष्य को समय-समय पर अपना आंकलन भी करना चाहिए.

फल पर नहीं, कर्म पर दें ध्यान-

गीता का यह उपदेश तो सभी की जुबां पर रहता है कि मनुष्य को फल की चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि कर्म पर ध्यान देना चाहिए. हम जैसा कर्म करेंगे वैसा ही फल भी भोगेंगे.

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