फ्यूल की ज्यादा कीमत, गरीब देशों में फैल रही अशांति

रूस-यूक्रेन (unrest) जंग लंबी खिंचती जा रहा है। इसकी कीमत सिर्फ ये दो देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के लगभग सभी देश चुका रहे हैं। लेकिन विकासशील देशों के लिए यह जीडीपी के 25% से भी ऊपर निकल गया है। करेंसी में गिरावट के कारण स्थिति और भयावह (unrest) बन रही है।
ह्यूस्टन यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर सुजन कसमार के मुताबिक, ऊर्जा संकट दुनियाभर में नागरिक अशांति की वजह बन रहा है। उसे पेट्रोकेमिकल प्लांट और फर्टिलाइजर कंपनियों को आपूर्ति रोकने पर मजबूर होना पड़ा है। बीते दो वर्षों में एलएनजी की कीमतों में 1,300% इजाफा हो चुका है।
खासतौर पर उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की सरकारों को महंगाई से परेशान जनता को ईंधन मुहैया कराने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। भारत भी इससे प्रभावित हुआ है।पाकिस्तान में ब्लैकआउट की स्थिति बन रही है, बांग्लादेश में बिजली बचाने के लिए रात 8 बजे से बाजार बंद करना मजबूरी है।
उधर मैक्सिको में जनता को बढ़ते बिजली बिल से राहत दिलाने के लिए सरकार को सब्सिडी बढ़ानी पड़ी है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद यानी इस साल फरवरी से एलएनजी की कीमतें 150% बढ़ चुकी हैं। इसके बावजूद दुनिया के अमीर देश मनमाने तरीके से ईंधन की खपत कर रहे हैं।
दूसरी तरफ गरीब देशों में जनता को ईंधन मुहैया करा पाना मुश्किल हो रहा है। प्राकृतिक गैस का वितरण करने वाली कंपनी गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (गेल) उपभोक्ताओं को पर्याप्त लिक्विड नेचुरल गैस (एलएनजी) उपलब्ध करा पाने में विफल रही है।