अंतराष्ट्रीय

16 नदियों और 86 शहरों को पार कर ट्रेन ( train )पहुंचती है अपनी मंजिल

मॉस्‍को. दुनियाभर में ट्रेन ( train ) आज भी यातायात का पसंदीदा और प्रमुख साधन है. दुनियाभर में ट्रेनें लंबी दूरी की यात्राएं लोगों को कराती हैं. क्‍या आपको पता है कि दुनिया का सबसे लंबा रेल सफर कितने दिनों में पूरा होता है. अगर आप यह सोच रहे हैं कि दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा दो-चार दिन में पूरी हो जाती है, तो आप गलत सोच रहे हैं. इसे पूरा होने में 7 दिन 20 घंटे 25 मिनट का समय लगता है. रूस के मॉस्‍को शहर से नॉर्थ कोरिया के प्‍योंगयांग शहर के बीच चलने वाली ट्रेन इतना समय लेती है.

मॉस्को से प्योंगयांग तक की यात्रा दुनिया की सबसे लंबी रेल यात्रा है. रूस के मॉस्को से उत्तरी कोरिया के शहर प्योंगयांग तक 10,214 किलोमीटर का सफर ट्रांस-साइबेरियन ट्रेन पूरा करती है. इस लंबे रूट पर चलने वाली ट्रेन 16 प्रमुख नदियों को पार करती है और 87 शहरों से गुजरती है. पूरे सप्‍ताह का यह सफर यात्रियों के धैर्य का जहां पूरा इम्तिहान लेता है, वहीं यह खूबसूरत प्राकृतिक नजारों का दीदार भी उन्‍हें कराता है.
ट्रांस-साइबेरियन रेलवे की शुरुआत 1916 में में हुई थी. ट्रांस-साइबेरियन रेलवे यात्रियों को मास्को से रूस के ही व्लादिवोस्तोक तक की यात्रा भी कराता है. यह रूट दुनिया का दूसरा सबसे लंबा रेल रूट है. यह रूट पर चलने वाली ट्रेन पहाड़ों और जंगलों से होकर गुजरती है.

प्‍योंगयांग से शुरू होता है सफर
नॉर्थ कोरिया से रूस के मास्‍को आने वाले यात्रियों को एक ट्रेन कार रूस के व्लादिवोस्तोक तक लेकर आती है. यहां पर यह ट्रेन कार व्लादिवोस्तोक से मास्‍को के लिए जाने वाली ट्रेन के पीछे जुड़ जाती है. खास बात यह है कि प्‍योंगयांग से एक बार ट्रेन कार में सवार होने वाले यात्रियों का कहीं भी अपना कोच बदलने की जरूरत नहीं होती. नार्थ कोरिया से महीने में दो बार यह ट्रेन रूस जाती है.

इसी तरह रूस से प्‍योंगयांग के लिए महीने में चार ट्रेनें चलती हैं. मास्‍को से चली ट्रेन प्‍योंगयांग तक नहीं जाती. असल में प्‍योंगयांग जाने वाले ट्रेन के डिब्‍बों को नॉर्थ कोरिया के तुमांनगेन स्‍टेशन तक ट्रेन लाती है. यहां से आगे ये डिब्‍बे अन्‍य ट्रेन के पीछे जोड़ दिए जाते हैं जो प्‍योंगयांग जाती है.

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