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सच्चे मित्र की पहचान कठिन समय में ही होती है। तिसौली में चल रही अंतिम दिन की कथा में हुई सुदामा चरित की कथा!

बिछवां-: क्षेत्र के गाँव धौकलपुर तिसौली में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन की कथा में सुदामा चरित की कथा सुनाई गई कथावाचक ओम देव चैतन्य महाराज ने सुदामा चरित की कथा सुनाते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है जो अपने मित्र के सुख में सुखी और दुःख में दुःखी हो। उन्होंने कहा कि आज के समय में सच्चे मित्र मिलना मुश्किल है। आजकल केवल मतलब की मित्रता रह गई है। अगर हमें मित्र की पहचान करनी है तो हमें क्रष्ण सुदामा से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि मित्र के साथ कभी छल कपट नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुदामा को गुरुमाता ने जो चने दिये थे वह उन्होंने अकेले ही चब लिए और उन्होंने चने क्रष्ण भगवान को नहीं दिये।
यही वजह रही कि सुदामा को गरीबी से जूझना पड़ा। जब सुदामा जी दाने दाने को मोहताज हो गए तब उनकी पत्नी सुशीला ने श्री क्रष्ण भगवान के पास जाने को कहा तो भगवान श्रीकृष्ण ने उनके सारे कष्टों को दूर करने का काम किया। भागवत कथा में परीक्षित सत्येंद्र यादव मिथिलेश यादव यज्ञपती जितेंद्र सिंह संजू रिंकी के साथ समाजसेवी आलोक यादव अरविन्द यादव शिवम यादव सिन्टू राजीव प्रवीण यादवेंद्र लक्ष्मी चंद्र संदीप अग्नि श्री आराध्या के अलावा सैकड़ो की तादात में पुरुष व महिलाएं किशौरिया मौजूद थी।