दिल्ली की जनता ने केजरीवाल सबक सिखाया: अन्ना हजारे(अन्ना हजारे)
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अन्ना हजारे:सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे (अन्ना हजारे) ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में ‘अच्छा काम’ कर रहे थे, लेकिन फिर उन्होंने शराब की दुकानें खोलनी शुरू कर दीं और इसके परिणामस्वरूप उन्हें लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। हजारे ने संवाददाताओं से कहा कि एक महिला का राष्ट्रीय राजधानी की नयी मुख्यमंत्री बनना गर्व की बात है। उन्होंने मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का जिक्र करते हुए कहा कि लोगों ने उनके ‘शुद्ध विचारों और कार्यों’ के कारण उन्हें वोट दिया। हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की परिणति ही आम आदमी पार्टी के जन्म के रूप में हुई थी।
केजरीवाल पर क्या बोले अन्ना हजारे
उन्होंने पूर्ववर्ती आप सरकार की विवादास्पद आबकारी नीति (अब समाप्त हो चुकी) का जिक्र करते हुए संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल को समाज के सामने एक उदाहरण पेश करना चाहिए था, लेकिन वे भटक गए। हजारे ने कहा, ‘‘पिछले मुख्यमंत्री (केजरीवाल) अच्छा काम कर रहे थे और तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। मैंने (उनके खिलाफ) कुछ नहीं कहा क्योंकि वह अच्छा काम कर रहे थे। लेकिन फिर धीरे-धीरे उन्होंने शराब की दुकानें खोलनी शुरू कर दीं और लाइसेंस जारी करने लगे। तब मैं परेशान हो गया।’’ हजारे शराब की खपत या बिक्री के मुखर विरोधी माने जाते हैं। केजरीवाल एक समय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में हजारे के सहयोगी थे, लेकिन 2012 में आप के गठन के बाद दोनों अलग हो गए।
आम आदमी पार्टी की हार पर कही ये बात
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को मिली हार को लेकर बीते दिनों अन्ना हजारे ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) को शराब नीति और पैसे पर ध्यान केंद्रित करने के कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तथा वह लोगों की निस्वार्थ सेवा करने के अपने कर्तव्य को समझने में विफल रही। केजरीवाल पर कटाक्ष करते हुए भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता ने कहा कि उम्मीदवार का चरित्र साफ होना चाहिए और उसे त्याग के गुण पता होने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं शुरू से ही कहता आया हूं कि चुनाव लड़ते समय उम्मीदवार का चरित्र साफ और बेदाग होना चाहिए। उम्मीदवार त्याग के गुणों से परिचित होना चाहिए और अपमान सहने की क्षमता होनी चाहिए। ये गुण (प्रत्याशियों में) लोगों का भरोसा जीतते हैं, जिन्हें लगता है कि उम्मीदवार उनके लिए कुछ करेगा। मैं यह कहता रहा, लेकिन वे (आम आदमी पार्टी) इसे समझ नहीं पाए। ’’