उत्तर प्रदेश

सेंट्रल यूपी के शि‌व भक्तों के लिए श्रद्धा का बड़ा केंद्र है पौराणिक लोधेश्वर शिवमंदिर

बाराबंकी । उत्तर प्रदेश (Admiration) के बुंदेलखंड और सेंट्रल यूपी के शि‌व भक्तों के लिए श्रद्धा (Admiration) का बड़ा केंद्र है पौराणिक लोधेश्वर शिवमंदिर। लखनऊ से सटे बाराबंकी के गांव लोधौरा में इस मंदिर में हर सावन लाखों भक्त महादेव पर जल चढ़ाने पहुंचते हैं। साथ ही 200 सीसीटीवी की मदद से सभी लोगों पर नजर रखी जा रही है। मंदिर की तरफ से ही पार्किंग की व्यवस्था की गई है।

मंदिर के अंदर एक कंट्रोल रूम भी बना है। भक्तों के लिए रास्तों की सफाई भी कराई गई है। 2 साल से कोरोना के कारण यहां कोई भी आयोजन नहीं हो पाया था। वहीं इस बार लगभग 50 लाख से ज्यादा भक्तों के आने की उम्मीद है। 1 एकड़ में फैले इस मंदिर की कहानी एक किसान के सपने से जुड़ी है। उसी रात उन्होंने सपने में दिखा जिस गड्‌ढे में पानी जा रहा है, उसके नीचे शिवलिंग है।

किसान सुबह होते ही खेत पहुंचा। गड्‌ढे की खुदाई करने पर वहां शिवलिंग निकला। उसी स्थान पर शिवलिंग आज भी स्थापित है। मान्यता है, मंदिर में जिस शिवलिंग की पूजा की जाती है, उसी शिवलिंग की पूजा मां कुंती ने महाभारत में की थी। महादेवा मंदिर का इतिहास 200 साल पुराना है। यहां तभी से कांवड़ लाई जा रही है और जलाभिषेक हो रहा है।

तब जल मिट्‌टी के बर्तन में लाया जाता था।कहा जाता है इस तालाब में सरयू और घाघरा का पानी आता है, लेकिन कहां से आता है इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। कई बार तालाब के न सूखने की वजह को जानने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली।मान्यता है, एक किसान लोधेराम ने अपने सपने में देखा, उनके खेत के अंदर शिवलिंग दबा हुआ है। इसके बाद किसान ने खेत की खुदाई करवाई। शिवलिंग के निकलने पर उसी जगह पर मंदिर की स्थापना कर दी।

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