नारी व बाल जगत

घर भले पुरुषों का हो, लेकिन रसोई सिर्फ औरत की है

बर्तन साफ करने वाले एक ब्रांड का विज्ञापन वायरल हो रहा है. उसने ब्लैक विम लिक्विड लॉन्च किया ताकि पुरुष भी जूठे बर्तनों की सफाई में स्त्री की ‘हेल्प कर सकें |
467 ईसापूर्व की बात है, जब ग्रीक प्लेराइटर इस्कलस (Aeschylus) ने खूब सोचकर कहा- औरतों को घर पर रहने दो, तभी तुम शांति से रह सकोगे. इस सबक के साथ ही सिलसिला चल निकला. औरतें घर पर छोड़ दी गईं. मोटापा न आ जाए, इसलिए मजबूरी में वे हाथ-पैर भी हिलाने लगीं. गोश्त पकाना, फल-सब्जियां तराशना, रोटी-चावल पकाना. इन सबके बीच दूसरे हल्के-फुल्के काम, जैसे बर्तन मांजना, झाड़ू-पोंछा|इधर मर्द जंगलों में शिकार करते. कस्बे की सीमा बढ़ाते. और लूटपाट से औरतों-बच्चों को बचाते. भाले-बर्छियों से छिदे जब वे घर लौटते तो बस एक ही उम्मीद होती कि ताजा खाना और साफ बिछावन मिल जाए. यहीं से रसोई संभालने का हुनर स्त्री में उतना ही जरूरी बन गया, जितना इंसान में इंसानियत.

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वो औरत ही क्या, जो पल भर में दसियों किस्म के पकवान बनाकर न परोस दे|

आमतौर पर जहां पहुंचो, बहुएं तीर की तरह भाग-भागकर काम करतीं. पानी खत्म हो, उससे पहले नाश्ता आ जाता, और नाश्ते का पहला निवाला चुभला रहे हों, उतने में चार किस्म की सब्जियां और दाल-भात बनकर तैयार हो जाएगा|जितनी देर में सांस लेकर छोड़ोगे, उतनी देर में खाना पककर पर सभी चुका होगा|

साल 2019 में टाइम यूज सर्वे (TUS) ने पाया कि हिंदुस्तानी औरतें रोज औसतन 299 मिनट घर के कामों में, और 134 मिनट बच्चों या बूढ़ों की देखभाल में बिताती है|हैं. डेटा ये भी कहता है कि औरतों के हिस्से 82 प्रतिशत घरेलू काम आते हैं, फिर चाहे वे घर पर रहती हों, या दफ्तर जाएं. बल्कि पाया ये गया कि दफ्तर-वालियों घरेलू काम का ज्यादा दबाव रहता है क्योंकि वे जज की जाएंगी|देसी-विदेशी, नए-पुराने, हिंदी-अंग्रेजी में कितने ही उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि भले दुनिया मंगल पर बस जाए, लेकिन बर्तन (अगर धोने पड़े) तो वहां भी औरते ही धोएंगी. पिछले साल कोविड की सेकंड वेव के दौरान अमेरिका में एक विज्ञापन आया. एड सरकारी था, जिसमें लिखा था- ‘स्टे होम. सेव लाइव्स’. साथ में दो तस्वीरे थीं. एक में- सफाई, इस्तरी करती और खाना पकाती औरतें. दूसरी में- सोफे पर बैठा हुआ पुरुष. गुल-गपाड़ा मचा और रीत के मुताबिक विज्ञापन गायब हो गया|
विम लिक्विड का विज्ञापन कुछ नया नहीं. सिवाय इसके कि ट्रोल होने पर ब्रांड ने इसे ‘मजाक’ बता दिया. मिलिंद सोमन जैसे महंगे मॉडल के हाथ में एक नया थमाकर किया गया मजाक!
प्रिय पुरुषों!
टिकिया चाहे काली हो, या नीली- झाग से नींबू की महक आए, या गुलाब की- बर्तनों में तो आप भी खाते हैं, तो सफाई का जिम्मा अकेला उनका क्यों?

 

 

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