नए साल के पहला महत्वपूर्ण व्रत यानि पुत्रदा एकादशी व्रत,पूजा करने से सन्तान से संबंधित समस्याओं से मिलता है छुटकारा
Putrada Ekadashi 2023: नए साल 2023 का आगाज हो चुका है। ऐसे में नए साल के पहला महत्वपूर्ण व्रत यानि पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाएगा। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाने वाला यह व्रत काफी फलदायी माना जाता है। पुत्रदा एकादशी व्रत कल यानि 2 जनवरी को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन एकादशी का उपवास रखने से और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को सन्तान से संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
सालभर में कुल चौबीस एकादशियां होती है, लेकिन जब अधिकमास या मलमास आता है, तो इनकी संख्या बढ़कर छब्बीस हो जाती है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है, एक श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरा पौष मास के शुक्ल पक्ष में। हालांकि इन दोनों ही एकादशियों का समान रूप से महत्व है। अगर आपकी भी ऐसी कोई इच्छा है, अगर आप भी संतान सुख की प्राप्ति चाहते हैं या फिर आपकी पहले से संतान है और आप उसकी तरक्की सुनिश्चित करना चाहते हैं तो आपको पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 01 जनवरी शाम 7 बजकर 11 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 02 जनवरी को शाम 8 बजकर 23 मिनट तक
पारण का समय- 03 जनवरी 2023 को सुबह 07 बजकर 14 मिनट से 09 बजकर 19 मिनट तक।
पुत्रदा एकादशी की पूजा विधि
1.पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें।
2.इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए विधि-विधान से पूजा करें।
3.सबसे पहले घर में या मंदिर में भगवान विष्णु व लक्ष्मीजी की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें।
4.इसके बाद गंगाजल पीकर आत्मा शुद्धि करें। फिर रक्षासूत्र बांधे।
5.इसके बाद शुद्ध घी से दीपक जलाकर शंख और घंटी बजाकर पूजन करें।
6.व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद विधिपूर्वक प्रभु का पूजन करें और दिन भर उपवास करें।
7.सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें और भगवान से किसी प्रकार हुआ गलती के लिए क्षमा भी मांगे।
8.दूसरे दिन सुबह भगवान विष्णु का पूजन पहले की तरह करें।
9.इसके बाद ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और अपने अनुसार उन्हे भेट और दक्षिणा दें।
10.इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद स्वयं भोजन ग्रहण करें।
इस मंत्र का करें जाप
मंत्र
‘ॐ गोविन्दाय, माधवाय नारायणाय नम’
इस मंत्र का 108 बार जाप करना है और हर बार मन्त्र पढ़ने के बाद एक बेलपत्र भी भगवान शंकर को जरूर चढ़ाएं। भगवान के पूजन के पश्चात ब्राह्मणों को अन्न, गर्म वस्त्र एवं कम्बल आदि का दान करना अति उत्तम कर्म है। यह व्रत क्योंकि सोमवार को है इसलिए इस दिन सफेद और गुलाबी रंग की वस्तुओं का दान करना चाहिए। व्रत में बिना नमक के फलाहार करना श्रेष्ठ माना गया है तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।