झूठ की बुनियाद पर टिकी राज्य की भाजपा सरकार के दिन अब गिने चुने: अखिलेश
लखनऊ । समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि उनकी पार्टी का लक्ष्य उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव है। जिसकी शुरूआत तीन नवम्बर को सात सीटों के लिए उपचुनाव के परिणाम से हो जाएगी। यादव ने यहां पार्टी मुख्यालय पर आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि झूठ की बुनियाद पर टिकी राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के दिन अब गिने चुने है। चार लाख करोड़ रूपये के एमओयू का दावा करने वाली योगी सरकार को जनता को बताना चाहिये कि कितना निवेश जमीन पर उतरा है। उन्होंने कहा कि आने वाला चुनाव सिर्फ उत्तर प्रदेश का ही नहीं बल्कि देश की राजनीति का भविष्य तय करेगा। उन्होंने कहा कि सपा का लक्ष्य 2022 का विधानसभा चुनाव है जिसकी शुरूआत उपचुनाव से होने जा रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी लोगों को जोडऩे की दिशा में काम कर रही है। भाजपा सरकार से निराश जनता सपा को सत्ता में लाने को बेकरार है। राज्यसभा चुनाव के लिये एक सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी के नामांकन और नौ की बजाय आठ सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों के उतारने के सवाल पर सपा अध्यक्ष ने कहा कि सभी को आज शाम तीन बजे तक का इंतजार करना चाहिये जब नामांकन करने का समय पूरा हो जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकारों को निभानी चाहिये। यूपी में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है। देश की सबसे बडी न्यायालय भी सपा कार्यकाल में शुरू की गयी 1090 सेवा की तारीफ कर चुकी है और जिस तरह का रिस्पांस सिस्टम डायल 100 बना था जो आज 112 है, अगर इसी तरह का सिस्टम हर प्रदेश में बने और समाज को जागरूक किया जाये तो निसंदेह महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था की हालत बेहतर होगी। उन्होने कहा कि उत्तर प्रदेश की सरकार आंकड़े छिपाने में विश्वास करती है, उससे क्या उम्मीद की जा सकती है। योगी सरकार अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में विफल रही है। मुख्यमंत्री कहते है ठोक दो तो कौन किसे ठोक रहा है, पता ही नहीं चलता। सपा अध्यक्ष ने कहा कि योगी सरकार पुश्तैनी मकानों पर बुलडोजर चलवा रही है। उन्हें खुद हलफनामा देना पड़ा कि वह घर नहीं बनवा सकते। सरकार को सोचना चाहिये कि प्रदेश में बड़ी संख्या में ऐसे मकान है जिनका नक्शा पास नहीं है। मुख्यमंत्री आवास का नक्शा क्या पास है। सरकार को बताना चाहिये। इससे पहले सपा छोड़कर कांग्रेस में गये पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी ने अपने समर्थकों के साथ समाजवादी पार्टी में घर वापसी की। बदायूं से पांच बार सांसद रहे सलीम शेरवानी ने कहा कि वह राजनीति से सन्यास का विचार कर रहे थे लेकिन झूठ के दम पर राज कर रही भाजपा के सफाये के लिये उन्होंने सपा में शामिल होने का फैसला किया ताकि अखिलेश यादव के हाथों को मजबूत किया जा सके। शेरवानी पहली बार 1984 मे बदायूं से लोकसभा सांसद हुए थे, उसके बाद वह 1996,98,99 और 2004 में सांसद बने। पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री सलीम शेरवानी ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था जिसमें उनकी करारी हार हुयी थी। इनके अलावा बहुजन समाज पार्टी के पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त, कानपुर देहात कैप्टन इंद्रपाल सिंह पाल भी सपा में शामिल हुये। पूर्व विधायक आसिफ खां बब्बू, महराजगंज के जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभु दयाल चौहान समेत अन्य नेता भी सपा में शामिल हुए।