देश के पहले नेजल वैक्सीन को मिली मंजूरी !
देश की पहली नेजल वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है. अब इंजेक्शन के जरिए नहीं, नाक में बूंदों से कोरोना की वैक्सीन दी जा सकेगी. भारत बायोटेक के इंट्रानेजल कोविड-19 वैक्सीन के लिए डीसीजीआई (ऊउॅक) से इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर मनसुख मंडाविया ने ये जानकारी दी है. देस में कोरोना के लिए इस तरह का पहला नाक से दिया जाने वाला टीका होगा. मनसुख मंडाविया ने कहा कि डीसीजीआई ने 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण के लिए आपातकालीन स्थितियों में प्रतिबंधित उपयोग के लिए टीके को मंजूरी दी है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर लिखा कि, ह्लकोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई को बड़ा बूस्ट मिला है. भारत रीकॉम्बिनेंट नेजल वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में 18 साल से ज्यादा आयु वर्ग के उपयोग के लिए अनुमति दी गई है. फिलहाल हमें मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन लगाई जा रही है. इस वैक्सीन को इंट्रामस्कुलर वैक्सीन कहते हैं.
नेजल वैक्सीन वो होती है जिसे नाक के जरिए दिया जाता है. क्योंकि ये नाक के जरिए दी जाती है इसलिए इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है. यानी इसे इंजेक्शन से देने की जरूरत नहीं है और न ही ओरल वैक्सीन की तरह ये पिलाई जाती है. यह एक तरह से नेजल स्प्रे जैसी है.
नाक (Nasal ) के रास्ते दिए जाने वाले कोविड-19 टीके अपने तीनों परीक्षण में सफल हुए थे.
नेजल वैक्सीन के फायदे
- वायरस को नाक में ही खत्म किया जा सकेगा, ये फेंफड़ों को संक्रमित नहीं कर सकेगा.
- नाक में बूंद की तरह इसे लिया जा सकेगा. इसके लिए हेल्थ वर्कर्स को ट्रेनिंग नहीं देनी होगी.
- प्रोडक्शन और स्टोरेज आसान होगा, वेस्टेज की समस्या खत्म हो जाएगी.
- बच्चों को भी आसानी से दी जा सकेगी.