इंटरनेशनल ( International)एनर्जी एजेंसी के चीफ ने की भविष्यवाणी

पेरिस: अंतरराष्ट्रीय ( International) ऊर्जा एजेंसी के कार्यकारी निदेशक फतह बिरोल ने भविष्यवाणी की है कि सऊदी अरब, रूस और पेट्रोलियम निर्यातक देशों के अन्य संगठन द्वारा तेल उत्पादन में कटौती के फैसले के बाद भारत का तेल आयात बिल साल की दूसरी छमाही में बढ़ने की संभावना है. बिरोल ने कहा, ‘सऊदी अरब, रूस और अन्य-ओपेक प्लस उत्पादकों ने तेल उत्पादन में कटौती करने का फैसला किया है. जब हम अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के विश्लेषण और तेल बाजारों को देखने वाली लगभग हर गंभीर संस्था के विश्लेषण को देखते हैं, तो इस साल की दूसरी छमाही में बाजार बहुत तंग होंगे.’
आईईए के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि भारत एक ऊर्जा आयातक देश है और अपनी खपत जरूरतों का अधिकांश तेल वह इम्पोर्ट करता है. इसलिए, प्रमुख उत्पादकों द्वारा तेल उत्पादन में कटौती का निर्णय सीधे तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था और इसके उपभोक्ताओं पर बोझ डालेगा. बिरोल ने कहा कि आने वाले वर्षों में तेल की कीमतों और आपूर्ति सुरक्षा चिंताओं पर दबाव कम होगा, क्योंकि अधिक देश अब अपनी प्राकृतिक गैस का उत्पादन और निर्यात कर रहे हैं, जिससे बाजार में लिक्विड नेचुरल गैस का प्रवाह बढ़ेगा. रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से भारत वैश्विक तेल बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है, जिसमें यूरोपीय संघ तेल सहित रूसी उत्पादों से परहेज कर रहा है.
दूसरी ओर, भारत ने रूस से अपने कच्चे तेल के आयात को रियायती दरों पर बढ़ाया है. साथ ही डीजल और जेट ईंधन जैसे रिफाइंड तेल के रूप में पिछले दरवाजे से यूरोपीय देशों में अपने प्रवेश को सक्षम बनाया है. जनवरी में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का तेल आयात एक साल पहले की तुलना में 33 गुना अधिक बढ़ गया है. इस पर आईईए के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि यह एक वैध कदम है. फतह बिरोल ने कहा कि भारत व्यापार और वित्तीय नियमों के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय नियमों और विनियमों का पालन कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘भारत इसे पारदर्शी तरीके से कर रहा है, और दूसरों की तुलना में कम रियायती मूल्य पर कच्चे तेल का आयात कर लाभ कमा रहा है. यह निश्चित रूप से एक वैध कदम है.’