लखनऊ

मुख्यमंत्री ने ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ का प्रस्तुतिकरण कर देशभर के मुख्यमंत्रियों को किया प्रभावित, शिक्षा में उत्तर प्रदेश का मॉडल बना उदाहरण !

लखनऊ -: ( लखनऊ  ) -:  राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माध्यमिक शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश सरकार की क्रांतिकारी पहल ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ का प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण किया। मुख्यमंत्री ने बताया कि यह परियोजना प्रदेश के राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में आधारभूत अवस्थापना का समग्र कायाकल्प करते हुए उन्हें सुरक्षित, स्वच्छ, आधुनिक और प्रेरक शिक्षण संस्थानों में रूपांतरित करने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

सीएम योगी की इस प्रस्तुति को सभी मुख्यमंत्रियों ने गंभीरता से सुना और उत्तर प्रदेश की इस अभिनव योजना की मुक्तकंठ से सराहना की। कई राज्यों ने इस मॉडल को अपने यहां लागू करने की रुचि भी जताई। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह केवल निर्माण कार्य नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को पुनर्जीवित करने, शिक्षा को गरिमा देने और विद्यालयों को प्रेरणा के केंद्र बनाने की एक समग्र कोशिश है।

योगी आदित्यनाथ ने बताया कि प्रदेश सरकार ने न सिर्फ राजकीय इंटर कॉलेजों बल्कि हर जिले के ऐतिहासिक और प्रभावशाली अनुदानित विद्यालयों को भी इस योजना में शामिल किया है। वर्षों से उपेक्षित इन विद्यालयों में आधुनिक शिक्षा की राह में सबसे बड़ी बाधा उनकी जर्जर अवस्थापना थी, जिसे सुधारने की दिशा में सरकार ने निर्णायक कदम उठाए हैं।परियोजना के प्रथम चरण में 439 सहायता प्राप्त विद्यालयों को 204.3 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई, जिससे 4.3 लाख से अधिक छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में भी यह योजना सक्रिय है,

जहां प्रदेश के 567 सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में अवस्थापना सुधार का कार्य प्रगति पर है। इनमें से 141 विद्यालयों को प्राथमिकता दी गई और 14.94 करोड़ रुपये व्यय किए गए।’प्रोजेक्ट अलंकार’ के अंतर्गत प्रदेश के 2,441 राजकीय और 4,512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को 35 निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप सशक्त किया जा रहा है। इनमें स्मार्ट क्लास, विज्ञान, गणित, कंप्यूटर व भाषा प्रयोगशालाएं, समृद्ध पुस्तकालय, दिव्यांगजन अनुकूल सुविधाएं, बालिकाओं हेतु पृथक शौचालय, आरओ संयंत्र, खेल परिसर, बहुउद्देश्यीय हॉल, रंगाई-पुताई, भवन मरम्मत और उपयुक्त फर्नीचर जैसी व्यवस्थाएं शामिल हैं। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए तीन चरण तय किए गए हैं। पहले चरण में 75 वर्ष से अधिक पुराने, दूसरे में 50 वर्ष से अधिक और तीसरे में 25 वर्ष से अधिक पुराने विद्यालयों का कायाकल्प किया जा रहा है। यह प्रयास पूरी तरह राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अनुरूप है, जो समावेशी, समग्र और गुणवत्तापरक शिक्षा को बढ़ावा देने पर बल देती है।मुख्यमंत्री ने बताया कि इस योजना की वित्तीय संरचना भी इसकी एक विशेषता है। इसमें राज्य सरकार के साथ समग्र शिक्षा अभियान, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर), ग्राम पंचायतें, नगरीय निकाय और जनसहभागिता की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।

1,357 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस योजना में अब तक 1,028 करोड़ रुपये राज्य सरकार, 124 करोड़ रुपये समग्र शिक्षा फंड, 89 करोड़ रुपये सीएसआर, 68 करोड़ रुपये स्थानीय निकायों और 48 करोड़ रुपये जनसहभागिता से एकत्र हुए हैं।मुख्यमंत्री ने बताया कि अब तक 1,150 बहुउद्देश्यीय हॉल, 778 संचार प्रयोगशालाएं, 599 नए शौचालय, 116 खेल मैदान, 755 परिसीमा की दीवारें, 482 अतिरिक्त कक्ष, 1,050 विद्यालयों में संयोजित सेवाएं और 101 ऑटोमेटेड टेस्टिंग लैब की स्थापना हो चुकी है। साथ ही, 15 विद्यालय समूहों को आदर्श क्लस्टर स्कूल के रूप में रूपांतरित किया गया है।

वर्ष 2022-23 से 2024-25 के बीच प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में अधिगम स्तर में 23 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) पर 11.5 प्रतिशत और उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) पर 9.6 प्रतिशत की अधिगम वृद्धि भी दर्ज की गई है। साथ ही पुस्तकालय उपयोग में 55.2 प्रतिशत और बालिकाओं हेतु शौचालय की उपलब्धता में 54.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी दर्ज की गई है।बैठक के दौरान ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ के तहत उत्तर प्रदेश में बदले विद्यालयों की ‘पहले और अब’ की तस्वीरों ने सभी को गहराई से प्रभावित किया। जहां पहले विद्यालयों में टूटी बेंचें, गंदगी और असुरक्षा का वातावरण था, वहीं अब वे स्वच्छ परिसर, डिजिटल कक्षाएं, प्रयोगशालाएं और अनुशासित वातावरण में बदल चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परिवर्तन केवल भौतिक नहीं, बल्कि मानसिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता का भी प्रतीक है।उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का उद्देश्य विद्यालयों को ‘प्रेरक’ से ‘मॉडल’ और अंततः ‘मिशन’ में रूपांतरित करना है, जहां शिक्षा केवल सूचना देने का माध्यम न होकर, नवाचार, निर्माण और चरित्र निर्माण का आधार बने। ‘प्रोजेक्ट अलंकार’ इसी सोच का मूर्त रूप है, जो उत्तर प्रदेश को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्यों की श्रेणी में स्थापित कर रहा है।

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