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समाज के निचले तबके तक नहीं पहुंचा आरक्षण का फायदा

भारत (Reservation) में कई सामाजिक-आर्थिक कल्याणकारी योजनाएं हैं जिनके उत्थान के लिए अभी भी आरक्षण (Reservation) की आवश्यकता है। एनएचआरसी स्थापना दिवस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा एक राष्ट्र के तौर पर भारत ने विस्तारवाद पर विश्वास न तो कभी किया और न ही कभी इस पर अमल किया। विशेषकर भौगोलिक सीमाओं में किसी भी तरह के विस्तार में चरम स्तर पर मानवाधिकार उल्लंघन शामिल होता है।

उन्होंने कहा यह स्पष्ट करने का समय आ गया है कि समग्र विकास सुनिश्चित करने के लिए उन वर्गों को भी आरक्षित श्रेणी के तहत आरक्षण मुहैया कराया जाए, जिन्हें अब तक यह सुविधा नहीं मिली है, क्योंकि आरक्षण का फायदा समाज के निचले तबके तक नहीं पहुंचा है।

उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि एक अवधारणा के तौर पर मानवाधिकार को केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के संरक्षण के सीमित अर्थ में नहीं समेटा जा सकता है। अन्य मानवाधिकारों से संबंधित मुद्दों को भी हरी झंडी दिखाई और इस बात पर जोर दिया कि सभी के लिए लैंगिक समानता और समानता महत्वपूर्ण थी।

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