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उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए

देहरादून: पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड के जंगलों की सेहत के लिए खतरा बन रहे प्लास्टिक कचरे से निबटने को अब प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। उच्च न्यायालय के सख्त रुख के बाद इसे लेकर शासन और वन विभाग संजीदा हुए हैं।वन क्षेत्रों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के लिए वन विभाग कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इसमें प्रवर्तन की कार्रवाई के प्रविधान पर विशेष जोर रहेगा। साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर संबंधित कंपनियों के विरुद्ध भी पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के माध्यम से कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी।

71.05 प्रतिशत वन भूभाग वाले उत्तराखंड में भी प्लास्टिक, पालीथिन कचरा बड़ी समस्या के रूप में उभरा है। न केवल शहरी व ग्रामीण क्षेत्र, बल्कि जंगलों में भी पसर रहा यह कचरा वन व वन्यजीव दोनों की सेहत के लिए खतरे बन रहा है। चारधाम यात्रा समेत अन्य प्रमुख मार्गों से लगे जंगलों, ईको टूरिज्म वाले स्थलों और ट्रैकिंग रूट में हर साल ही बड़े पैमाने पर प्लास्टिक कचरा जमा हो रहा है। पिछले साल ही केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग से लगभग 30 क्विंटल प्लास्टिक कचरा निकाला गया था। ऐसी ही स्थिति अन्य क्षेत्रों की भी है।

यही नहीं, शहरी व ग्रामीण क्षेत्रो से लगे जंगलों के आसपास खुले में कचरा निस्तारण भी परेशानी का सबब बना है। आसान भोजन की तलाश में इसके पास धमक रहे वन्यजीव प्लास्टिक तक खा रहे हैं। पूर्व में हरिद्वार वन प्रभाग में हुए एक अध्ययन के दौरान हाथी समेत दूसरे वन्यजीवों के मल में प्लास्टिक, पालीथिन के टुकड़े पाए गए थे। इसके अलावा वन क्षेत्रों में पहुंच रहा प्लास्टिक कचरा वहां की भूमि की सेहत को क्षति पहुंचा रहा है।इस स्थिति पर उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के लिए प्रभावी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। इसे देखते हुए सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण और ठोस कचरा प्रबंधन पर शासन ने ध्यान केंद्रित किया है। मुख्य सचिव डा एसएस संधु स्वयं इसकी मानीटङ्क्षरग कर रहे हैं। इसी कड़ी में वन क्षेत्रों को प्लास्टिक कचरे से बचाने के लिए विभाग को प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल ने बताया कि वन क्षेत्रों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने को कार्ययोजना बनाई जा रही है। प्लास्टिक कचरे की दृष्टि से संवेदनशील स्थल चिह्नित किए जा रहे हैं। कार्ययोजना में वन क्षेत्रों में कचरा फेंकने अथवा छोडऩे वालों पर अर्थदंड लगाने के प्रविधान का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने पर जोर दिया जाएगा। इसके साथ ही जनजागरूकता को कदम उठाए जाएंगे। जल्द ही कार्ययोजना तैयार कर इसे शासन के सम्मुख रखा जाएगा।प्लास्टिक कचरे के निस्तारण के दृष्टिगत सभी विभागों को हाईकोर्ट के आदेश को अवसर के रूप में लेेते हुए इस दिशा में कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी क्रम में वन विभाग को भी वन क्षेत्रों के लिए एक्शन प्लान तैयार कर इसका शत-प्रतिशत अनुपालन करने को कहा गया है।

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