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आज ही समर्पण : नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत, जाने पूरा मामला

चंडीगढ़। आज ही समर्पण : नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं दी राहत, जाने पूरा मामला..  नवजोत सिंह सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट से समर्पण करने के लिए समय मांगा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया है। इससे पहले जस्टिस एएम खानविलकर ने सिद्धू को आवेदन दाखिल करने के लिए कहा था। हालांकि चीफ जस्टिस ने विशेष पीठ के गठन की मांग करने के लिए वकील द्वारा उल्लेख करने के आग्रह को ठुकरा दिया। इसके तहत अब नवजोत सिद्धू को आज ही समर्पण करना होगा। बताते चलें कि सिद्धू के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने मुवक्किल के आत्मसमर्पण के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था।

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सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी को एक उचित आवेदन पेश करने और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बेंच के समक्ष इसका उल्लेख करने के लिए कहा था। 27 दिसंबर 1988 की शाम सिद्धू अपने दोस्त रुपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरवाले गेट की मार्केट में पहुंचे थे। मार्केट में पार्किंग को लेकर उनकी 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई। बात हाथापाई तक जा पहुंची। इस दौरान सिद्धू ने गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया। पीडि़त को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को मात्र एक हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद पीडि़त पक्ष ने इस पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी।

आज ही समर्पण: हाथ भी अपने आप में एक हथियार: कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, हाथ भी अपने आप में एक हथियार हो सकता है, अगर एक बॉक्सर, पहलवान, क्रिकेटर या बेहद तंदुरुस्त व्यक्ति पूरे झटके से इसका इस्तेमाल करे। ऐसे में केवल जुर्माना लगाकर सिद्धू को छोड़ देना ठीक नहीं है। हालांकि पीठ ने पीडि़त पक्ष के वकील सिद्धार्थ लूथरा की सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के तहत दोषी ठहराने की दलील को खारिज कर दिया। पीठ ने सिद्धू को धारा-323 (गंभीर चोट पहुंचाने) का ही दोषी माना और इस अपराध के तहत दी जाने वाली अधिकतम एक वर्ष कैद की सजा सुनाई।

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सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के उस आदेश को 15 मई 2018 को दरकिनार कर दिया था जिसमें रोडरेज के मामले में सिद्धू को गैरइरादतन हत्या का दोषी ठहराते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को एक 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी माना था लेकिन उन्हें जेल की सजा नहीं दी थी और 1000 रुपये का जुर्माना लगाया था। भारतीय दंड संहिता की धारा 323 के तहत इस अपराध के लिए अधिकतम एक साल जेल की सजा या 1000 रुपये जुर्माने या दोनों का प्रावधान है।

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