Supreme court : नियमित अधिकरण बनने तक पुनर्गठित सुपरवाइजरी कमिटी, जाने पूरा मामला…..
नई दिल्ली। Supreme court : नियमित अधिकरण बनने तक पुनर्गठित सुपरवाइजरी कमिटी, जाने पूरा मामला….. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल व तमिलनाडु के बीच जारी मुल्लापेरियार बांध विवाद मामले में सुनवाई की और इसके लिए सुपरवाइजरी कमिटी के पुनर्गठन का आदेश दिया। कोर्ट ने कमिटी ज्यादा अधिकार दिए और कहा कि बांध की सुरक्षा समेत सभी मसलों पर कमिटी के निर्देशों के पालन के लिए दोनों राज्यों के मुख्य सचिव जवाबदेह होंगे। जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ मामले की सुनवाई कर रही है।
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कोर्ट ने कहा है कि जब तक बांध नियामक प्राधिकरण का गठन नहीं हो जाता तब तक मुल्लापेरियार बांध पर बनी सुपरवाइजरी कमेटी इससे संबंधित सभी निर्णय ले सकती है। इससे पहले मंगलवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण को पूर्णरूप से कार्य करने में पूरा एक साल का समय लगेगा। केंद्रीय जल आयोग का पक्ष रखने वाले अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एश्वर्या भाटी ने तर्क दिया था।
Supreme court : मौजूदा पर्यवेक्षी समिति को तब तक फिलहाल काम करना जारी रखना चाहिए।
केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर बांध का निर्माण 1895 में हुआ था। बांध का संचालन तमिलनाडु सरकार सिंचाई और बिजली उत्पादन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए करती है। केरल सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए एक नए बांध निर्माण पर जोर देता है जबकि तमिलनाडु सरकार का कहना है कि इसका ढांचा काफी मजबूत है।
नियमित अधिकरण बनने तक पुनर्गठित सुपरवाइजरी कमिटी ही देखेगी मामला: सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि पिछले माह के अंत में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों राज्यों को सलाह दी कि 126 साल पुराने बांध की देखरेख व संरचनात्मक सुरक्षा के मामले को पर्यवेक्षी समिति द्वारा निपटाया जा सकता है। बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के तहत प्राधिकरण को अधिसूचित किया गया है ताकि तमिलनाडु के साथ चल रहे विवाद का स्थायी समाधान हो सके। 30 दिसंबर 2021 से यह अधिनियम लागू हो गया। इस बांध के लिए राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण जिम्मेदार होगा।