नई दिल्ली। लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच सात सितंबर की झड़प के बाद लगभग 40 से 50 चीनी सैनिक भाले, बंदूक और तेज धार वाले हथियारों से लैस होकर पूर्वी लद्दाख में रेजांग ला के उत्तर में ऊंचाई वाले स्थानों पर भारतीय सेना की पोजिशन से कुछ मीटर की दूरी पर आ गए हैं। सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवानों की ओर से भारतीय सेना को उसकी स्थिति (पोजिशन) से हटाने के लिए नए सिरे से प्रयास किए जाने की संभावना है।
सीमा पर चीन से फिर तनाव बढ़ने के साथ भारतीय सेना के शीर्ष नेतृत्व ने कई दौर का विचार-विमर्श किया है। भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों से मुलाकात की। भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवड़े ने राजनाथ सिंह को उभरती स्थिति के बारे में जानकारी दी।
इससे पहले दिन में, भारतीय सेना ने दावा किया था कि चीनी सैनिक भड़काऊ सैन्य आंदोलनों में लिप्त हैं और उसकी ओर से सात सितंबर को भारतीय सैनिकों को डराने के लिए गोलियां भी चलाई गईं। वहीं दूसरी ओर चीन उल्टा भारत पर ही ऐसा करने का आरोप मढ़ने की कोशिश कर रहा है।
यह घटना सोमवार को पैंगॉन्ग त्सो (झील) के दक्षिण तट पर शेनपावो पर्वत के निकट रेजांग ला के पास हुई।
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा है कि चीन सीमा पर स्थिति को बढ़ाने के लिए उकसावे वाली गतिविधियों को जारी रखे हुए है, और यह चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान थे, जिन्होंने भारतीय सैनिकों को डराने के प्रयास में हवा में कुछ राउंड फायरिंग की।
भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने कहा, किसी भी स्तर पर भारतीय सेना ने एलएसी पार नहीं की है और ना ही उसने गोलीबारी समेत किसी आक्रामक तरीके का इस्तेमाल किया है।
सेना ने कहा है कि यह चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ही है जो सैन्य, राजनयिक और राजनीतिक स्तर पर चर्चा जारी होने के बाद भी औपचारिक रूप से समझौतों का उल्लंघन कर रही है और आक्रामक गतिविधियां कर रही है।
कर्नल अमन ने कहा, 7 सितंबर, 2020 के तत्काल मामले में पीएलए के सैनिकों ने ही एलएसी पर हमारे सैनिकों के पास आने की कोशिश की और जब उन्हें रोका तो पीएलए के सैनिकों ने हवा में कुछ राउंड फायर कर अपने ही सैनिकों को डराने की कोशिश की।
हालांकि, गंभीर उकसावे के बावजूद भारतीय सैनिकों ने संयम से काम लेते हुए परिपक्व और जिम्मेदार तरीके से व्यवहार किया।
बयान में यह भी कहा गया, भारतीय सेना शांति बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। हालांकि, यह हर कीमत पर राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए भी दृढ़ है। वेस्टर्न थिएटर कमांड का बयान उनके घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दर्शकों को गुमराह करने का एक प्रयास है।
वहीं चीनी पीपुल्स लिबरेशन के वेस्टर्न थिएटर कमांड के कर्नल झांग शुइली ने एक बयान में कहा, भारतीय सेना ने चीनी सीमा के गश्ती दल के सैनिकों को धमकी देने के लिए फायरिंग की, जिसने चीनी सीमा रक्षकों को जमीन पर अपनी स्थिति स्थिर रखने के लिए जवाबी कार्रवाई करने पर मजबूर किया।
चीन ने आगे कहा, भारत की कार्रवाई ने चीन और भारत के बीच प्रासंगिक समझौतों का गंभीरता से उल्लंघन किया है। उसने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ाया है और गलतफहमी पैदा कर दी है।
बयान में कहा गया है कि यह गंभीर सैन्य उकसाव और गलत बर्ताव है।
भारतीय सेना ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी तट के आसपास के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण ऊंचाइयों पर पहुंच स्थापित कर ली है और चीन ने यहां भारतीय सुरक्षा बलों को खदेड़ते हुए, इन जगहों पर अपना कब्जा करने के लिए कई प्रयास किए हैं।
यह एक नया गतिरोध बिंदु बन गया है, जहां भारतीय सेना एक लाभप्रद स्थिति में है।
भारतीय सेना ने उन ऊंचाई वाली महत्वपूर्ण जगहों पर कब्जा जमाया है, जो इसे चीनी नियंत्रण के तहत आने वाले चीनी मोल्दो गैरीसन और स्पंगुर गैप पर हावी होने के लिए सहायक बनाती है। भारत और चीन दोनों ही इनमें से कुछ ऊंचाइयों पर अपना दावा करते हैं।
भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण ऊंचाइयों में से एक है रेचिन ला, जिसका चीन विरोध कर रहा है।
यहां से भारतीय सेना न केवल पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी तट पर चीनी सेना के सैन्य ठिकानों को देखते हुए एक सुविधाजनक स्थान प्राप्त किए हुए है, बल्कि इसके विपरीत झील के उत्तर में फिंगर-4 क्षेत्र पर भी सेना की नजर बनी हुई है।
भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग चार महीने से गतिरोध जारी है। कई स्तरों के संवाद के बावजूद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है।