सूत्रों ने कहा कि हाल के दिनों में कई उइगर (Uighurs)अपने घरों में मृत पाए गए

नई दिल्ली. चीन के शिनजियांग प्रांत के एक शहर के निवासी भूख, जबरन क्वारंटाइन के साथ दवा और भोजन की घटती सप्लाई से जूझ रहे हैं. इस प्रांत में रहने उइगर (Uighurs) और दूसरे मुसलमानों को धर्म और संस्कृति के नाम पर बड़े पैमाने पर हिरासत में रखने की खबरें आती रही हैं. वहीं अब सूत्रों की मानें तो चीन की जीरो-कोविड पॉलिसी के नाम पर वे लोग अब अपने घरों में बंद कर दिए गए हैं.
इस्तांबुल में उइगर समूहों ने सोमवार को सरियर जिले में स्थित चीनी वाणिज्य दूतावास के पास कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने के बहाने बीजिंग के ‘हंगर जेनोसाइड’ (भूखे रखकर नरसंहार) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
पूर्वी तुर्किस्तान में क्रूर लॉकडाउन की निंदा करते हुए इस्तांबुल में चीनी वाणिज्य दूतावास के बाहर महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 3,000-3,500 प्रदर्शनकारी एकत्र हुए.
भूख और दर्द से तड़पकर आत्महत्या
सूत्रों ने कहा कि हाल के दिनों में कई उइगर अपने घरों में मृत पाए गए हैं और उनकी मौत की वजह भूख और बीमारी बताई जा रही है. सूत्रों के मुताबिक, इन क्षेत्रों के निवासियों को जबरन कैद किया जा रहा है. यहां आत्महत्या के कई मामले भी सामने आए हैं, क्योंकि वे अब भूख और दर्द को सहन नहीं कर सकते थे.
प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि छोटे बच्चे भूख से मर रहे हैं. उनका दावा है कि कुछ की मौत भूख या तेज बुखार के कारण हुई है, क्योंकि उन्हें भोजन या दवा नहीं मिली.
वहीं भारतीय खुफिया सूत्रों ने बताया कि अक्टूबर में सीपीसी की 20वीं राष्ट्रीय कांग्रेस होगी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग किसी भी हाल में तीसरा कार्यकाल हासिल करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा कि ताइवान, अमेरिका और भारत के खिलाफ चीन का सारा आक्रामक रवैया उसी रणनीति का हिस्सा हैं.
ख़ुफ़िया अधिकारियों ने कहा, ‘चीन में ‘वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी’ (भेड़िया योद्धा कूटनीति) के नाम से एक नई नीति की शुरुआत हुई है, जो पारंपरिक कूटनीतिक बारीकियों को त्यागते हुए बहुत आक्रामक है.’
उन्होंने कहा कि यह नरसंहार और लॉकडाउन स्थानीय स्तर पर लोगों को पुनर्व्यवस्थित करने की रणनीति का हिस्सा है जो पिछले कुछ वर्षों से चल रहा है और कांग्रेस (संसद) में इसके नतीजे दिखेंगे. शी जिंगपिंग के लिए यह पता लगाना भी आसान होगा कि उनके प्रति कौन वफादार है.