लद्दाख और हिमालय के संरक्षण के लिए सोनम वांगचुक की 850 KM की पदयात्रा पूरी !
चंडीगढ़ – पैरों से रिसते छालों की परवाह नहीं, हिमालय को बचाना जरूरी है। यह कहना है पर्यावरणविद सोनम वांगचुक का। लद्दाख बचाओ, हिमालय बचाओ नारे के साथ लेह से पहली सितंबर को शुरू हुई यह यात्रा 27 दिन में 850 किलोमीटर का सफर तय कर चंडीगढ़ पहुंची। पदयात्रा की अगुवाई कर रहे वांगचुक ने बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य लद्दाख का संरक्षण, लद्दाख में लोकतंत्र की बहाली और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपायों पर ध्यान आकर्षित करना है।
पर्यावरणविद सोनम वांगचुक ने लद्दाख और हिमालय के संरक्षण के लिए लेह से चंडीगढ़ तक 850 किलोमीटर की पदयात्रा की। इस यात्रा का उद्देश्य लद्दाख के लोगों के हितों की रक्षा लोकतंत्र की बहाली और छठी अनुसूची के सुरक्षा उपायों पर ध्यान आकर्षित करना है।
वांगचुक ने कहा कि सीमा सुरक्षा के लिए हो रहे विकास कार्यों से लद्दाख के लोगों को कोई आपत्ति नहीं है।
लद्दाख और हिमालय के संरक्षण के लिए सोनम वांगचुक की 850 KM की पदयात्रा पूरी
- पैरों से रिसते छालों की परवाह नहीं, हिमालय को बचाना जरूरी: सोनम वांगचुक
- विकास की अंधाधुंध दौड़ के बीच पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना अहम : सोनम वांगचुक
- 27 दिन में 850 किलोमीटर का सफर तय कर पहुंची लद्दाख बचाओ, हिमालय बचाओ पदयात्रा