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20 बरस ( 20 years) बाद बेटा लौटा घर तो खुशी से फफक पड़ी मां

बाड़मेर. कहते हैं कि कोई अपना जब दूर हो जाता है तो उसकी कमी का दुःख-दर्द परिवार के हर सदस्य को हर रोज सताता है. लेकिन आज हम बात कर रहे हैं घर के एक चिराग की, जो मामूली कहासुनी के बाद नाराज होकर घर से निकला और 20 साल बाद घर लौटा है. जब घर का चिराग 20 साल ( 20 years)  बाद घर आया तो मां खुद के आंसू रोक नहीं पाई. वह अपने जिगर के लाल को गले से लगाकर फफक पड़ी. मां से मिलने के साथ उसने अपने बच्चों से भी मां को रूबरू करवाया. फिल्मी पटकथा जैसी लगने वाली यह हकीकत है बाड़मेर के रहनेवाले सोनाराम की.

पाकिस्तान की सीमा से कंधा मिलाने वाले सरहदी जिले बाड़मेर के चौहटन उपखण्ड के गोदारों की बस्ती है पोषाल. यहां के शिवदानराम गोदारा का बेटा सोनाराम 20 साल पहले महज 15 साल की उम्र में राजस्थान के हनुमानगढ़ में मजदूरी करने गया था. वहां पर काम के दौरान हुई कहासुनी के बाद वह वहां से भागकर पंजाब चला गया. इस दौरान उसके पिता व भाइयों सहित परिजनों ने उसे ढूंढ़ने की खूब कोशिश की. लेकिन कहीं भी कुछ पता नहीं लगा. गांव के समाजसेवी जोगाराम जांदू रतासर का कहना है कि सोनाराम का कहीं सुराग नहीं लगने के कारण परिजनों ने थक कर हार मान ली, लेकिन 20 साल बाद अब उसका पता चला तो भाई उसे लेने बीकानेर क्षेत्र में एक मुरब्बे पर पहुंचे और उसे लेकर गांव आए हैं

उसके साथ उसकी पत्नी व दो बच्चे भी आए हैं. बेटी की उम्र 8 साल है और बेटे की 5 साल. सोनाराम के पिता 6 साल पहले इस दुनिया में नहीं रहे. सोनाराम की मां ने जब बेटे-बहू और पोते-पोती को सामने देखा तो फफक पड़ी. उसने अपने बेटे-बहू की आरती उतारी और दोनों को गले लगा लिया. 20 साल बाद घर लौटे सोनाराम ने बताया कि वह हनुमानगढ़ से भागकर पंजाब में भिंडाशहर पहुंच गया. यहां पर उसकी कुछ बदमाश लोगों से दोस्ती हो गई. इसके कारण उसे एक मामले में दो साल की जेल हो गई. दो साल जेल में रहने के बाद बाहर आने पर मजदूरी करने लगा. इस दरम्यान पंजाब के संगरिया मौरगंज के रहनेवाले मिठूसिंह की उस पर नजर पड़ी. उन्होंने सोनाराम को अपने साथ ले लिया और गांव ले आए. यहां पर सोनाराम को अपने घर पर रखा और खेती के कामकाज में लगा दिया.
इसके बाद वहां पर ही उसकी एक युवती से शादी भी करवा दी. अब उसके दो बच्चे भी है. इस बीच, उसके गांव पोषाल में सभी 9 भाई-बहिनों की भी शादी हो गई और 6 साल पहले उसके पिता शिवदानराम भी चल बसे. 20 साल बाद उसके घर लौटने की खबर जिसने भी सुनी वह अचंभित नजर आया है.

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