तो किसी ने हमले ( attack)से पहले ही की थी परिवार से बात

पुंछ. जम्मू कश्मीर के पुंछ में शुक्रवार को आतंकियों ने छिपकर सेना के ट्रक पर हमला ( attack) कर दिया. इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए. आतंकियों ने घात लगाकर जवानों पर ऐसे हमला किया कि जब तक वह कुछ समझ पाते अंधाधुंध फायरिंग होने लगी. इस हमले में शहीद होने वाले जवानों में से 5 पंजाब के हैं जबकि एक ओडिशा का रहने वाला है. इनके नाम हवलदार मनदीप सिंह, देबाशीष बसवाल, लांस नायक कुलवंत सिंह, सिपाही हरकिशन सिंह और सिपाही सेवक सिंह है.
आतंकियों की इस कायराना हरकत के शिकार हुए इन जवानों के परिवारों में काफी गुस्सा है. इनमें से किसी के छोटे बच्चे थे तो किसी की कुछ समय पहले ही शादी हुई थी. लेकिन आतंकियों के हमले का शिकार हुए इन जवानों के गांवों में शोक की लहर है. इन जवानों को निशाना बनाने वाले आतंकियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की जा रही है.
दो साल पहले हुई थी शादी, 7 महीने की है बेटी
शहीद जवानों में लांस नायक देबाशीष बिस्वाल ओडिशा के पुरी जिले के रहने वाले थे. 2021 में ही उनकी शादी हुई थी. उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा सात महीने की बच्ची भी है. बिस्वाल 30 साल के थे और अपने गांव अलगुम के लोगों के बीच काफी चर्चित थे. वह स्थानीय युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत थे. बिस्वाल ने अपनी बेटी के 21 दिन के होने पर पूरे गांव को दावत दी थी.
पिता ने कारगिल युद्ध में दी थी कुर्बानी
पंजाब के मोगा जिले में चारिक गांव के शहीद जवान कुलवंत सिंह का बेटा चार महीने पहले ही हुआ था. कुलवंत घर से दूर रहने के बाद अपने बच्चे के लिए छोटी से छोटी चीज का ख्याल रखते थे. उनकी एक डेढ़ साल की बेटी भी है. कुलवंत के पिता भी सेना में थे और कारगिल युद्ध में उन्होंने देश के लिए कुर्बानी दी थी. तब कुलवंत सिर्फ 2 साल के थे.
बटाला के तलवंडी बर्थ गांव के रहने वाले सिपाही हरकृष्ण सिंह हाल ही में अपने परिवार से मिलने आए थे. हमले से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने अपनी पत्नी और दो साल की बेटी से वीडियो कॉल पर बातचीत की थी. शहीद सिपाही सेवक सिंह बठिंडा के बाघा गांव के रहने वाले थे. वहीं हवलदार मनदीप सिंह लुधियाना जिले के रहने वाले थे.
राजौरी में एक कार्यक्रम में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देने के बाद, ओडिशा में पुरी जिले के अलगुम सामी गांव के लांस नायक देबाशीष के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए हवाई मार्ग से उनके पैतृक स्थान ले जाया गया.
मंदीप सिंह, कुलवंत सिंह, हरकृष्ण सिंह और सेवक सिंह के पार्थिव शरीर सड़क मार्ग से पंजाब में उनके पैतृक स्थानों पर भेजे जा रहे हैं.