रूसी सैनिकों का काल बने स्मार्टफोन, (Smartphone )छीन ली सैकड़ों फौजियों की जिंदगी

स्मार्टफोन को दुनियाभर में कई तरह की सामाजिक बुराइयों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है. कहा जाता है कि किशोरों के अकेलेपन, सड़क दुर्घटनाओं, कइ्र तरह की बीमारियों के लिए स्मार्टफोन जिम्मेदार है. अब युद्ध के दौरान सैनिकों के मोबाइल फोन (Smartphone ) इस्तेमाल करने के कारण नया खतरा सामने आया है. सैनिकों की हर फोन कॉल, टेक्स्ट मैसेज या सोशल मीडिया पर रहने से दुश्मन सेना को उन्हें निशाना बनाने में मदद मिल सकती है. इसका हालिया उदाहरण रूस यूक्रेन युद्ध के दौरान सामने आया है.
यूक्रेन ने हाल में दावा किया कि उसने नए साल पर यानी 1 जनवरी 2023 को मकीव में एक बैरक को सिर्फ एक रॉकेट से टारगेट किया और सैकड़ों रूसर सैनिकों को मार गिराया. वहीं, रूस के अधिकारियों और सरकारी मीडिया से लोग सवाल पूछ रहे थे कि यूक्रेन उनके सैनिकों को कैसे मार पाया? रूस के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को इसका जवाब दिया कि उनके सैनिक आधिकारिक पाबंदी का उल्लंघन करते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे थे. इससे यूक्रेन को उनकी लोकेशन पता कर उन्हें टारगेट करने में मदद मिली.
रूसी सैनिक यूक्रेन में भी कर रहे थे निजी फोन का इस्तेमाल
रूस के सैनिक पिछले साल यूक्रेन में घुसने के बाद से ना केवल मोबाइल फोंस का इस्तेमाल कॉल के लिए कर रहे थे, बल्कि लगातार इंटरनेट का इस्तेमाल और सोशल मीडिया पर भी एक्टिव थे. इससे रूसी सेना के सामने कई तरह की समस्याएं आए दिन खड़ी हो जाती हैं. ये सिर्फ रूस की ही समस्या नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया की सेनाएं इस परेशानी से जूझ रही हैं. युद्ध के शुरुआती दौर में कुछ ऐसी जानकारियां सामने आई थीं कि रूसी सेनाएं अनसिक्योर्ड कम्युनिकेशंस पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं. हालांकि, ज्यादातर रूसी यूनिट्स के पास सिक्योर रेडियो इक्वीपमेंट थे. फिर भी वे ज्यादातर बार एकदूसरे से बातचीत के लिए निजी फोन का ही इस्तेमाल कर रहे थे. उन्होंने यूक्रेन में घुसने के बाद भी इस प्रक्रिया को जारी रखा.
यूक्रेन ने रूस के सैनिकों को किस तरह से बनाया टारगेट
यूक्रेन के अधिकारियों को जैसे ही ये अहसास हुआ कि रूस के सैनिक निजी मोबाइल फोंस का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्होंने अपने देश के नेटवर्क से रूस के नंबर्स को बंद कर दिया. इसके बाद कई रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के लोगों के फोन छीनकर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. इससे यूक्रेन की सेनाओं को रूसी सेनाओं के हर कदम पर नजर रखना आसान हो गया. इससे यूक्रेन को कई तरह के दूसरे फायदे भी हुए. कुछ मामलों में यूक्रेन ने रूसी सैनिकों की कॉल्स पर की गई बातचीत को सोशल मीडिया पर डाल दिया ताकि सभी को उनकी अगली योजना की जानकारी हो सके.
‘रूसी सैनिकों को टैक्टिकल नेटवर्क पर नहीं है भरोसा’
यूक्रेन ने रूस के सैनिकों की आपसी बातचीतों से दुनिया को दिखाया गया कि उनके देश में घुसपैठ करने वाली सेनाएं किस तरह से अनैतिक हथकंडे अपना रही हैं. अमेरिका ने भी मार्च 2022 में पुष्टि की थी कि सेलफोन सिग्नल के जरिये लोकेशन का पता करके एक रूसी जनरल को मारा गया था. यूरोप में अमेरिकी सेना के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बेन हॉजेज ने ग्रिड से अप्रैल 2022 में कहा था कि रूसी सैनिकों के पास या तो अपने टैक्टिकल नेटवर्क पर भरोसा नहीं है या उनके पास ऐसी कोई सुविधा है ही नहीं. ऐसा लग रहा है, जैसे उन्हें युद्धक्षेत्र में मोबाइल फोन के इस्तेमाल के खतरे पता ही नहीं हैं.
‘मोर्चे पर बैठे सैनिक परिजनों से मोबाइल पर करते हैं बात’
रूस के एसपीए के चेयरमैन और मिलिट्री टेक्नोलॉजी एनालिस्ट दिमित्री एल्प्रोविच ने कहा कि पिछले साल से अब तक रूस की ऑपरेशनल सिक्योरिटी में काफी सुधार आया है. अब रूस के सैनिक मोर्चे पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. हालांकि, एल्प्रोविच ने ये भी माना कि मकीव की बैरक्स जैसे मोर्चों पर सैनिकों को मोबाइल का इस्तेमाल करने से रोकने में बहुत कामयाबी नहीं मिल पाई है. दरअसल, मोर्चों पर बैठे सैनिक अपने परिजनों और दोस्तों को अपनी खैरियत बताने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं.
रूस ने 2019 में ही सेलफोन इस्तेमाल पर लगा दी थी रोक
स्मार्टफोन का सैनिकों द्वारा इस्तेमाल वैश्विक समस्या बन गया है. रूस के अधिकारियों ने पहले ही इस समस्या को पहचानकर 2019 में ही सैनिकों के स्मार्टफोन लेकर चलने पर पाबंदी लगा दी थी. इसके बाद भी यूक्रेन के साथ युद्ध के शुरुआती दौर में सेलफोंस के कारण हुई मौतों के बावजूद रूसी सैनिकों ने इस समस्या को ना तो तव्वजो दी और ना ही मोबाइल फोन का इस्तेमाल बंद किया. साल 2017 में ये समस्या अमेरिका के साथ भी अफगानिस्तान और सीरिया के मोर्चों पर आई थी.
एक सेल्फी ने छीन ली थी अमेरिका की पूरी यूनिट की जान
मोजावे डेजर्ट में एक ट्रेनिंग ऑपरेशन के दौरान एक अमेरिकी सैनिक ने एक सेल्फी पोस्ट की. इससे उनकी लोकेशन का दुश्मनों को पता चल गया और उस अमेरिकी यूनिट के सभी सैनिक मार दिए गए. चीन की सेना ने 2016 में ही सैनिकों के मोबाइल फोंस इस्तेमाल करने को लेकर दिशा-निर्देश जारी कर दिए थे. दरअसल, इससे ठीक पहले सैनिकों के एक टैक्सी ऐप का इस्तेमाल करने से चीन के कई गोपनीय सैन्य ठिकानों से पर्दा उठ गया था. हाल में एक रूसी सैनिक के फोन पर डेटिंग ऐप ऑन रह जाने के कारण पोलैंड के सैनिकों की लोकेशन बेलारूस को पता लग गई थी.