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लघु और मध्यम समाचार पत्रों ने अब अपने अधिकारो की मांग का बजाया बिगुल

प्रयागराज : मध्यम और लघु समाचार पत्रों ने आजादी की लडाई रही हो चाहे आजादी के बाद देश के विकास मे योगदान की बात हो अपनी अहम भूमिका का निर्वहन किया है और कर रहे हैं। किन्तु आज कल उनकी स्थिति भयावह हो गई है ,बन्द होने चाहिए कगार पर पहुंच गये है। उक्त बाते बलराम दीक्षित बरिष्ठ पत्रकार सचिव अखिल भारतीय पत्रकार कल्याण परिषद ने कही। उन्होंने आगे कहा हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी का नारा है, सबका साथ सबका विकास, किन्तु उनका यह नारा लघु एवं छोटे समाचार पत्रों पर लागू नही हो रहा है, जिससे आज बंद होने के कगार पर पहुंच गये है।

इसके पीछे कारण स्पष्ट है। सरकार द्वारा बनाई गई विग्यापन नीतियों का पालन न करना है। डीएवीपी और प्रदेशो के सूचना विभाग इस पर अमल नही कर रहे हैं। इनकी उपेक्षा कर रहे हैं।जो इनके साथ अन्याय है । इन विभागो से जारी होने सरकार की उपलबधियो के विग्यापन चंद बडे समाचार पत्रों को दिये जा रहे हैं। जबकि इनके विभाग में सूचीबद्ध मध्यम लघुमझोले समाचार पत्रों की उपेक्षा की जा रही है । जिस कारण इनकी आर्थिक स्थिति दयनीय दशा को पहुच गया है।

उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदीजी से अपील की है की वे उक्त समाचार पत्रों की दशा को और उनके साथ हो रहे विग्यापन नीति सरकारी विभागो द्वारा न अपनाये जाने और इनके साथ भेदभाव अपनाए जाने पर कठोर कार्यवाही करने का आदेश करते हुए निष्पक्ष जांच कराने का आदेश पारित कराये, जिससे मध्यम, लघु, मझोले समाचार पत्रों को बंद होने से रोका जा सके और इनका भी विकास हो सके । उन्होंने अपने संबोधन मे प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदीजी सेअपेक्षा की हैं कि वे यशस्वी प्रधानमंत्री हैं, उनके कार्यो की प्रशंशा आज विश्व कर रहा है।वे मध्यम, लघु,मझोले समाचार पत्रों की दशा को सुधारने में अपनी अहम भूमिका का निर्वहन करेगे, जिससे उनकी दशा में भी सुधार हो सके जय हिन्द,।

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