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मुकुट पूजा से श्री सतगुरु कृपा रामलीला का हुआ शुभारंभ !

अंबेडकरनगर –  जिला मुख्यालय के कस्बा शहजादपुर की 119 वर्ष पुरानी रामलीला का मंचन शारदीय नवरात्रि के प्रथम दिवस 15 अक्टूबर को मुकुट पूजा से प्रारंभ हुआ प्रथम दिवस की लीला में रावण जन्म का पूरा प्रसंग समिति के कलाकारों द्वारा अत्यंत मनोहारी रूप में प्रस्तुत किया गया। दैत्यराज सुमाली की पुत्री केकशी ने ऋषि विश्रेश्रवा के पास जाकर सायं कालीन बेला में रति दान की मांग की। जिसे उन्होंने स्वीकार किया, जिससे केकशी को रावण, कुंभकरण और विभीषण तीन पुत्रों की प्राप्ति हुई। अपनी माता केकशी की आज्ञा पाकर रावण, कुंभकरण और विभीषण ने ब्रह्मा जी की कठोर तपस्या की और उनसे वरदान प्राप्त किया।

केकशी से यह जानकारी होने पर कि सोने की लंका में राज करने वाला कुबेर भी उनका भाई है। रावण ने लंका पर आक्रमण करके कुबेर को युद्ध में पराजित कर लंका पर अपना आधिपत्य स्थापित किया और उसे अपने राज्य की राजधानी बनाया। ब्रह्मा जी के वरदान से अजेय होकर उसने अहंकार के मद में ऋषियों और मुनियों पर अत्याचार और शोषण की सारी सीमाओं को पार कर दिया। ऋषि मुनि रावण के इस दुष्कृत्य से पीड़ित होकर माता पृथ्वी के साथ ब्रह्मा जी को लेकर श्री हरि विष्णु भगवान के पास गए और अपनी सारी पीड़ाओं से अवगत कराया।

श्री हरि ने ब्रह्मा जी और पृथ्वी सहित सभी ऋषि मुनियों को भरोसा दिलाया कि वह शीघ्र ही अयोध्या नरेश महाराजा दशरथ के यहां अपनी शक्तियों सहित मानव रूप में जन्म लेकर पृथ्वी लोक पर हो रहे रावण के अन्याय अत्याचार और अधर्म का समूल नाश करेंगे। 15 अक्टूबर रावण जन्म की लीला में विशाल मेहरोत्रा ने रावण, अवधेश कुमार मेहरोत्रा ने विभीषण, रामकुमार मेहरोत्रा ने कुबेर, चक्रधारी दुबे ने विश्रेश्रवा, सत्यम मेहरोत्रा ने ब्रह्मा जी, शिवम मेहरोत्रा ने पृथ्वी माता, अखिलेश दुबे ने कुंभकरण तथा जानकी दास ने केकशी का सफल और रोमांचक अभिनय प्रस्तुत किया। उपस्थित दर्शकों ने सभी कलाकारों के अभिनय की मुक्त कंठ से प्रशंसा की।

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