शहीद-ए-आजम भगत सिंह की 115वी जयंती आज, PM Modi बोले- ‘हमें बहुत प्रेरित करता है उनका साहस’
Bhagat Singh Jayanti 2022 : देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले महान क्रांतिकारी शहीद-ए-आजम सरदार भगत सिंह की आज 115वीं जयंती हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह को याद किया है। पीएम मोदी ने भगत सिंह से जुड़ा एक वीडियो शेयर कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
पीएम मोदी ने किया भगत सिंह को याद
पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा कि मैं शहीद भगत सिंह को उनकी जयंती पर नमन करता हूं। उनका साहस हमें बहुत प्रेरित करता है। हम अपने राष्ट्र के लिए उनके दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।
उनका जीवन ‘राष्ट्र हित सर्वोपरि’ की प्रेरणा देता रहेगा- अमित शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भगत सिंह की 115वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। अमित शाह ने कहा कि भारत की स्वाधीनता और सुनहरे कल के लिए हंसते-हंसते अपना जीवन बलिदान कर देने वाले अमर शहीद भगत सिंह की जयंती पर उनके चरणों में नमन करता हूं। देशभक्ति, साहस व राष्ट्र समर्पण की मिसाल उनका जीवन युगों-युगों तक देशवासियों को ‘राष्ट्र हित सर्वोपरि’ की प्रेरणा देता रहेगा।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने किया याद
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भगत सिंह को उनकी जयंती पर याद किया। उन्होंने कहा कि मां भारती की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले परम राष्ट्रभक्त, वीर बलिदानी भगत सिंह की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन। मोदी सरकार द्वारा चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम बदलकर करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत भगत के नाम पर करना उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी श्रद्धांजलि
साथ ही केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी शहीद भगत सिंह को याद किया। उन्होंने पीएम मोदी के रेडियो कार्यक्रम मन की बात का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मन की बात के 93वें एपिसोड में पीएम मोदी ने कहा था कि महान स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि के रूप में यह निर्णय लिया गया है कि चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम अब शहीद भगत सिंह के नाम पर रखा जाएगा। चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नामकरण समारोह में शामिल होने की खुशी है।
23 साल की उम्र में दी गई थी फांसी
बता दें कि शहीद-ए-आजम भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पाकिस्तान के पंजाब में स्थित लयालपुर के बांगा गांव के एक सिख परिवार में हुआ था। भगत सिंह को जब फांसी दी गई थी, तो उनकी उम्र महज 23 वर्ष थी। उनकी शहादत के बाद देशवासियों ने आजादी की लड़ाई में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था।