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बेंगलुरु ( Bangalore)में अचानक गायब हुई लोगों की परछाई

सूर्य एकदम लंबवत आ गया था जिसके वजह से किसी भी वस्तु की छाया नहीं बनी क्यूंकि ये बिल्कुल वस्तु के नीचे आ गई थी. जवाहरलाल नेहरू तारामंडल ने इस घटना के बारे में बताते हुए जानकारी दी कि 130 डिग्री उत्तर अक्षांश के साथ सभी स्थानों पर आज सूर्य ठीक ऊपर पहुंच गया था, जिसके वजह से छाया नहीं बनी. वहीं, जीरो शैडो डे 130 अक्षांश से दूर स्थानों पर अलग-अलग दिनों में होता है.

कर्क और मकर रेखा के बीच साल में दो बार ‘जीरो शैडो डे’ होता है. बेंगलुरु ( Bangalore) के लिए दूसरा जीरो शैडो डे इसी साल 18 अगस्त को होगा.

कर्क और मकर रेखा के बीच कुछ स्थानों पर ‘जीरो शैडो डे’ बिलकुल नहीं होता है, उन्हीं स्थानों में हमारे देश में झारखण्ड की राजधानी ‘रांची’ है, जहां जीरो शैडो डे नहीं होता है.

एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) की सार्वजनिक आउटरीच और शिक्षा समिति के सदस्य निरुज रामानुजम ने बताया कि साल में दो ‘जीरो शैडो डे’ एक उत्तरायण के दौरान जब सूर्य उत्तर दिशा की ओर जाता है तब और दूसरा दक्षिणायन के दौरान जब सूर्य दक्षिण दिशा में जाता है.

सूर्य की स्थिति पृथ्वी के भूमध्य रेखा के 23.5°N से 23.5°S तक चलती है और वापस आती है. वे सभी स्थान जिनका अक्षांश उस दिन सूर्य के स्थान और भूमध्य रेखा के बीच के कोण के बराबर होता है, स्थानीय दोपहर में किसी वस्तु के नीचे छाया के साथ ‘जेरो शैडो डे’ अनुभव करते हैं.

बेंगलुरु में आज लोगों ने ‘जीरो शैडो डे’ का अनुभव सोशल मीडिया ट्विटर पर फोटो और वीडियो के जरिये शेयर किया. कई लोगों ने खुद धुप में निकल कर इसका अनुभव किया तो कइयों ने छोटे से बड़े वस्तुओं को धुप में रखा.

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