Sedition Law : राजद्रोह पर सुप्रीम कोर्ट ‘ब्रेक’, जाने पूरी खबर

नई दिल्ली। Sedition Law : राजद्रोह पर सुप्रीम कोर्ट ‘ब्रेक’, जाने पूरी खबर.. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राजद्रोह कानून की धारा 124ए पर पुनर्विचार के लिए समय दे दिया है। जब तक पुनर्विचार की ये प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक इस धारा के तहत कोई केस दर्ज नहीं होगा। यहां तक कि धारा 124ए के तहत किसी मामले की जांच भी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों पर इस धारा में केस दर्ज हैं और वो जेल में हैं वो भी राहत और जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं। 162 साल में पहली बार ऐसा हो रहा है जब राजद्रोह के प्रावधान के संचालन पर रोक लगाई गई है। धारा 124ए है क्या? इसके आरोपी को कितनी सजा हो सकती है? रोक लगने का क्या असर होगा? सरकार का इस पर अब तक क्या रुख रहा है?
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इस कानून से जुड़े हालिया चर्चित मामले कौन से हैं? इस कानून को लेकर पहले का क्या रुख रहा है? आइये जानते हैं। राजद्रोह कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में सेना के सेवानिवृत्त जनरल एसजी वोमबटकेरे और एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया शामिल है। चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि ये कानून अंग्रेजों के जमाने का है। यह स्वतंत्रता का दमन करता है। इसे महात्मा गांधी और तिलक जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था। क्या आजादी के 75 साल बाद भी इसकी जरूरत है?
Sedition Law : जुलाई में होने वाली सुनवाई से पहले क्या-क्या होगा?
मंगलवार को कोर्ट ने इस कानून पर केंद्र से अपनी राय बताने को कहा था। केंद्र की ओर दायर हलफनामे में इस कानून पर उचित तरीके से पुनर्विचार की बात कही गई। इस दौरान कोर्ट ने सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि हम साफ कर देना चाहते हैं कि हम दो बातें जानना चाहते हैं- पहला लंबित मामलों को लेकर सरकार का क्या रुख है और दूसरा सरकार भविष्य में राजद्रोह के मामलों से कैसे निपटेगी। इन सवालों के जवाब के लिए कोर्ट ने सरकार को बुधवार तक का वक्त दिया था। इसके बाद सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह सरकार से निर्देश लेकर बुधवार को कोर्ट के सामने उपस्थित होंगे।
Sedition Law : राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
इससे पहले सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा था कि उसने धारा 124ए की समीक्षा और पुनर्विचार का फैसला किया है। उसने आग्रह किया था कि जब तक सरकार फैसला न कर ले, तब तक के लिए सुनवाई को टाल दिया जाए। हालांकि, कोर्ट ने केंद्र का ये आग्रह स्वीकार नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दायर याचिकाओं पर अब जुलाई में सुनवाई करेगा। तब तक केंद्र सरकार के पास समय होगा कि वो धारा 124ए के प्रावधानों पर पुनर्विचार करे। अगली सुनवाई में केंद्र को इसे लेकर अपना जवाब दाखिल करना होगा। तब तक धारा 124ए के तहत कोई केस दर्ज नहीं होगा। यहां तक कि धारा 124 ए के तहत किसी मामले की जांच भी नहीं होगी।
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कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों पर इस धारा में केस दर्ज हैं और अगर वो जेल में हैं वो भी राहत और जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं। 1837 में अंग्रेज इतिहासविद और राजनेता थामस मैकाले राजद्रोह को परिभाषित किया था। उनके मुताबिक अगर कोई शब्दों द्वारा बोलकर या लिखित, द्रश्य संकेतों द्वारा या किसी अन्य तरीके से भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति उत्तेजित या असंतोष को उत्तेजित करने कोशिश करता है या घृणा या अवमानना में फैलाने का प्रयास करता है तो यह राजद्रोह माना जाएगा।
Sedition Law : समीक्षा होने तक दर्ज नहीं होगी नई एफआईआर
इसी तरह का कानून अमेरिका, आस्ट्रेलिया, सऊदी अरब, मलेशिया, सूडान, सेनेगल, ईरान, तुर्की और उज्बेकिस्तान में भी है। ऐसा ही कानून अमेरिका में भी है, लेकिन वहां के संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इतनी व्यापक है कि इस कानून के तहत दर्ज मुकदमे लगभग नगण्य हैं। जबकि आस्ट्रेलिया में सजा की जगह सिर्फ जुर्माने का प्रावधान है। भारत में इस कानून को अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की अभिव्यक्ति को दबाने के लिए लेकर आई थी।