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जिनपिंग-पुतिन के बीच हो गई सीक्रेट डील

रूस-चीन क्रेट डील: इतिहास गवाह है.. महाशक्तियों में जंग जितनी मुश्किल से शुरू होती है, खत्म भी उतनी ही मुश्किल से होती है. इस जंग का नतीजा महाविनाश होता है. चीन की राजधानी बीजिंग में दो महाशक्तियों के बीच सबसे बड़ी सुपर पावर के खिलाफ हुई सीक्रेट डील ने महाविनाश के ज्वालामुखी को सुलगा दिया है. युद्ध का लावा निकलने लगा है. वॉर का नया फ्रंट खुलने वाला है. आइये आपको बताते हैं चौंकाने वाली इस डेंजरस डील के बारे में..

पुतिन-जिनपिंग के बीच सीक्रेट डील?

रूस के राष्ट्रपति पुतिन और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग हथियारों की डील से जुड़े डॉक्यूमेंट पर दस्तखत कर चुके हैं. दोनों ताकतवर नेताओं ने हाथ मिलाया और रूस-चीन के बीच हथियारों की सीक्रेट डील फाइनल हो गई. अब सवाल उठने लगा है कि क्या अब पुतिन के ब्रह्मास्त्र चीन की सेना में शामिल होंगे. रूस की हजारों किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलनेवाली मिसाइलें, पावरफुल फाइटर जेट्स, साइलेंट किलर पनडुब्बियां, या फिर दुनिया का सबसे शानदार एयर-डिफेंस सिस्टम.. सब जिनपिंग आर्मी का हिस्सा बन जाएंगे?

रूस और चीन पीछे हटने को तैयार नहीं
सवाल यह भी है कि इस डील के बाद क्या जिनपिंग ने बदले में इतनी मिलिट्री मदद भेजी कि पुतिन ने यूक्रेन वॉरजोन में अचानक आगे मार्च करना शुरु कर दिया. रूस की सेना ऐसे हमले कर रही है मानो उसको बारूद का नया भंडार मिल गया है. वजह क्या है ये सबकुछ पुतिन के बीजिंग दौरे के बीच क्यों हो रहा है? पुतिन-जिनपिंग के बीच सीक्रेट डील हो चुकी है. हथियारों को लेकर कोई बड़ा समझौता हो गया है. बीजिंग से मॉस्को तक ऑफिशियल ऐलान नहीं हुआ है पर अंदर ही अंदर मामला सेट है. अमेरिका को लगता है कि चाइनीज समर्थन के बिना पुतिन का यूक्रेन युद्ध जल्दी खत्म हो जाएगा. हालांकि सीक्रेट डील में जिनपिंग और पुतिन दोनों का फायदा है. इसलिए वॉशिंगटन की कोशिशों के बाद भी रूस और चीन पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.

मॉस्को में पश्चिमी देशों के हथियारों की प्रदर्शनी..

कुछ दिनों पहले पुतिन के इशारे पर मॉस्को में पश्चिमी देशों के हथियारों की प्रदर्शनी लगी. जिसमें अमेरिका का सबसे लेटेस्ट (एब्रैम्स) टैंक. मेड इन जर्मनी आधुनिक लैपर्ड टैंक. यूके में बनी बुलेटप्रूफ गाड़ियां शामिल रहीं. इन हथियारों को रूस ने यूक्रेन के मोर्चे पर जब्त किया. पश्चिमी देशों के एक्सपर्ट्स की मानें तो जिनपिंग की नजर इन्हीं हथियारों पर है. क्या इन बर्बाद टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों में ही चीन के सुपरपावर बनने का सीक्रेट छिपा हुआ है?

हूबहू अमेरिका के जैसे हथियार तैयार कर रहे

चीन की सेना अमेरिकी हथियारों को कॉपी करके सुपरपावर अमेरिका का मुकाबला करना चाहती है. असल में यूक्रेन संघर्ष में रूसी सेना जिन अमेरिकी टैंक, तोप और मिसाइलों को जब्त कर रही है. उनको चीन भेजने के दावे किये जा रहे हैं. चीन के साइंटिस्ट ऐसे हथियारों को स्टडी करके कॉपी कर रहे हैं. हूबहू अमेरिका के जैसे हथियार तैयार कर रहे हैं.

सेम टू सेम ऐसे हथियार बनाने में चीन एक्सपर्ट

एब्रैम्स टैंक को अमेरिका ने 40 सालों से ज्यादा की मेहनत के बाद तैयार किया है. इसकी तोप और कवच बनाने में अरबों डॉलर सिर्फ रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च किये गये हैं. लैपर्ड टैंक को भी जर्मनी की Cutting Edge Technology की मदद से बनाया गया है. अगर रशिया ने ये हथियार चीन को सौंप दिये तो सेम टू सेम ऐसे हथियार बनाने में चीन एक्सपर्ट है. पुतिन-जिनपिंग की सीक्रेट डील का अंदाजा अमेरिका को भी था. इसको लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री ने खुद बीजिंग पहुंचकर वॉर्निंग दी थी, पर कोई असर नहीं हुआ.

पुतिन-जिनपिंग मिलेंगे तो कुछ बड़ा होगा

पुतिन-जिनपिंग मिलेंगे तो कुछ बड़ा होगा.. इसकी आशंका अमेरिका को थी. अमेरिकन प्रेसिडेंट ने कुछ दिनों पहले ही अपना विदेश मंत्री बीजिंग भेजा. चीन की सरकार को समझाने की कोशिश की. पर पुतिन-जिनपिंग की तस्वीरों से साफ है कि वॉशिंगटन से प्रेशर बढ़ाने के बावजूद जिनपिंग की मॉस्को पॉलिसी में कोई चेंज नहीं आया. पश्चिमी देश पुतिन पर जितने प्रतिबंध लगा रहे हैं वो उतना ही जिनपिंग के करीब हो रहे हैं.

पुतिन के बीजिंग दौरे से ठीक पहले..

पुतिन के बीजिंग दौरे से ठीक पहले रूस की नौसेना में बुलावान्यूक्लियर मिसाइल तैनात हो चुकी हैं. इसे रूस की नई सबमरीन पर लगाया गया है. अचानक ही नई पनडुब्बी के साथ-साथ नई मिसाइल बनाने का क्या रहस्य है. क्या अब रूस को मिसाइलें बनाने में भी चीन से मदद मिल रही है. क्या रूस की सेना का रिमोट कंट्रोल जिनपिंग के पास आ चुका है? यूक्रेन युद्ध के बीच ही पुतिन ने अपनी न्यूक्लियर हमले की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया है. अब रूसी सबमरीन्स पर बुलावा ICBM तैनात हैं. 8 हजार किलोमीटर रेंज वाली इस मिसाइल को कई बार टेस्ट किया गया है. हाल में हुए एक सफल परीक्षण में इसने हजारों किलोमीटर दूर टारगेट पर सटीक हमला किया.

सबसे ज्यादा घातक है बुलावा

रूस की नई परमाणु पनडुब्बी ऐसी 16 मिसाइलें लेकर समंदर में गश्त लगा सकती है. पर सबसे ज्यादा घातक है बुलावा पर लगे 6 परमाणु बमों की सीरीज. हर मिसाइल दुश्मन देश के 6 टारगेट पर हमला कर सकती है. पश्चिमी देशों की मानें तो रूस की हर मिसाइल में लगे चिप की सप्लाई चीन से हो रही है. यानी पुतिन के हथियार चाहे कितने भी एडवांस हों वो जिनपिंग की मदद के बिना एक टारगेट बर्बाद नहीं कर सकते.

पश्चिमी देशों के गंभीर आरोप

पश्चिमी देशों के आरोप हैं कि जिनपिंग सरकार रूस को ऐसे महत्वपूर्ण Equipments दे रही है, जो टू इन वन हैं. यानी इनका सिविलियन और मिलिट्री दोनों इस्तेमाल संभव है. इनमें सेमीकंडक्टर चिप्स और नेवीगेशन से जुड़े उपकरण शामिल हैं. यूक्रेन मोर्चे पर रूस की जो तोपें दुश्मन के ठिकानों पर चुन-चुनकर गोले दाग रही हैं उनमें भी मेड इन चाइना चिप लगी हुई है. खारकीव में जो टैंक यूक्रेन की सेना पर कहर बरसा रही है उसमें लगे इलेक्ट्रॉनिक equipments भी बीजिंग से आये हैं. यूक्रेन वॉरजोन में रूसी सेना के फाइटर और बॉम्बर जेट्स भी जिनपिंग की मदद से ही आसमान में उड़ रहे हैं. दावा है कि इन दिनों चीन से लड़ाकू जहाजों के कल-पुर्जे की सप्लाई भी रूस को पहुंच रही है. रूस को फाइटर जेट्स, मिसाइलें, ड्रोन्स, टैंक्स और बख्तरबंद गाड़ियों को तैयार करने में काफी मदद मिल रही है.

रूस और चीन के बीच अनलिमिटेड दोस्ती

रूस और चीन के बीच अनलिमिटेड दोस्ती का असर यूक्रेन वॉरजोन में दिख रहा है. बाइडेन प्रशासन का अंदाजा है कि 2023 में रूस ने 90 प्रतिशत माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स चीन से खरीदा.. इनका इस्तेमाल कंप्यूटर, मोबाइल फोन से लेकर मिलिट्री Equipments बनाने में भी होता है. रूस ने माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स मदद से अपने मिसाइल्स, टैंक्स और एयरक्राफ्ट्स बनाये. इन्हीं हथियारों की मदद से रूस की सेना यूक्रेन के मोर्चे पर नॉनस्टॉप आगे बढ़ रही है. या सीधे कहें तो जिनपिंग का बारूद पुतिन को ताकत दे रहा है. यूक्रेन सीमा पर आसमान में उड़ने वाले ड्रोन सबसे बड़े शिकारी हैं. ये टैंक, तोपखाना दुश्मन के सैनिक सबको निशाना बनाते हैं. इनका टारगेट जहां फिक्स हो जाए वहां मौत और बर्बादी पक्की है. रूस के सबसे ताकतवर हथियारों में एक हैं ड्रोन आर्मी और इनका पुनर्जन्म भी जिनपिंग की मदद से हुआ.

बाइडेन कुछ नहीं कर पा रहे

खबरें हैं कि चाइनीज कंपनियां रूस में फैक्ट्री लगाकर उनके लिए ड्रोन्स बना रही हैं. ड्रोन और क्रूज मिसाइलों के लिए इंजन का प्रोडक्शन करने में भी रूस को सपोर्ट मिल रहा है. अक्टूबर 2023 से लेकर दिसंबर 2023 तक चीन ने 7500 करोड़ रुपये की मशीनें सिर्फ चीन से खरीदीं. मतलब साफ है कि रूस की मिलिट्री को चीन से बिना रुकावट अनलिमिटेड सप्लाई मिल रही है. और ये खबर मिलने के बाद भी बाइडेन कुछ नहीं कर पा रहे हैं. जमीन पर पुतिन की सेना तो अंतरिक्ष में मौजूद सैटेलाइट्स भी जिनपिंग के इशारे पर चल रहे हैं. आजकल जंग की प्लानिंग सैंकड़ों किलोमीटर ऊपर स्पेस में होती है. सैटेलाइट की नजरों से कुछ नहीं छिपता. और उन तस्वीरों के साथ अगले हमले की प्लानिंग होती है. सीधे कहें तो सैटेलाइट्स की मदद के बिना सटीक हमला मुश्किल है.

रूस और चीन के बीच दोस्ती अंतरिक्ष तक पहुंच गई
रूस और चीन के बीच दोस्ती अब जंग के मैदान से अंतरिक्ष तक पहुंच गई है. बीजिंग ने रूस के सैटेलाइट्स को अपग्रेड करने का प्रोजेक्ट भी शुरु कर दिया है. अमेरिका को अंदाजा है कि चीन की तरफ से यूक्रेन वॉरजोन की लेटेस्ट तस्वीरें रूस के साथ शेयर की जा रही हैं. आजकल दुश्मनों की निगरानी से लेकर युद्ध की रणनीति तक सैटेलाइट का इंपोर्टेंट रोल है. अमेरिका को डर है कि चीन की मदद से आने वाले वक्त में रूस की सेना यूरोप के लिए भी खतरा बन जाएगी. रूस-चीन की सीक्रेट डील में सिर्फ पुतिन और जिनपिंग ही शामिल नहीं हैं. इसमें कई और कैरेक्टर हैं जो रूस-यूक्रेन से सैंकड़ों-हजारों किलोमीटर दूर मौजूद हैं. पर इनकी मदद से यूक्रेन में दिन दूनी और रात में चौगुनी रफ्तार से अटैक हो रहा है.

चीन-रूस का बदनाम साथी उत्तर कोरिया

चीन और रूस का एक और बदनाम साथी है उत्तर कोरिया. जिसे अमेरिका से नफरत है. मिसाइल मैन के नाम से मशहूर उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग का देश रूस और चीन से व्यापार के सहारे ही चल रहा है. ऐसे में यूक्रेन वॉर के दौरान पुतिन को जरूरत पड़ी तो जिनपिंग के इशारे पर रूस के लिए किम जोंग ने अपने हथियारों का गोदाम खोल दिया. बीजिंग गैंग के चौथे और कुख्यात सदस्य उत्तर कोरिया ने भी यूक्रेन की तबाही का खूब असलहा रूस तक पहुंचाया है.

दुनिया में ऐसी मारकाट मचेगी…

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर रूस और चीन की सीक्रेट डील के उद्देश्य सफल हुए तो दुनिया में ऐसी मारकाट मचेगी जिसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता. दुनिया में जबतक जिनपिंग जैसे नेता रहेंगे. तबतक अलग-अलग देशों पर युद्ध का खतरा बना रहेगा. क्योंकि चीन एक ऐसा मुल्क है जो अपना मतलब निकालने के लिए पूरी दुनिया को बर्बाद कर सकता है. सबकी कोशिश है कि यूक्रेन में युद्ध बंद हो. पर ऐसा लग रहा है यूक्रेन जंग खत्म होने तक जिनपिंग सेना.. ताइवान में हमला कर देगी.

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