नयी दिल्ली। केंद्रीय इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खान एवं खनिज उद्योग से वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 30-40 प्रतिशत तक कम करने का आह्वान किया जिससे देश इस क्षेत्र के विकास, विस्तार और निर्यात के लिए वैश्विक स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना सके।
श्री सिंधिया ने फिक्की के सहयोग से एनएमडीसी द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन ‘इंडियन मिनरल्स एंड मेटल्स इंडस्ट्री: ट्रांजिशन टूवर्ड्स 2030 एंड विजन 2047 को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योग 7-8 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि उभरती वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी और प्रभावशाली बनाने के लिए अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना जरूरी है। उन्होंने जोर दिया, हमें ‘मेड इन इंडिया को बढ़ावा देने की जरूरत है। जब हम अपनी कंपनियों के माध्यम से भारतीय ब्रांड को देखना चाहते हैं तो हमें मदर ब्रांड ‘मेड इन इंडियाÓ की ब्रांडिंग पर भी ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारा मूल ब्रांड उत्पाद की उच्चतम गुणवत्ता की पहचान होना चाहिए। श्री सिंधिया ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत में इस्पात उत्पादन क्षमता 30 करोड़ टन तक पहुंच जायेगी और देश के इस्पात के शुद्ध आयातक की जगह एक प्रमुख निर्यातक बनने की ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत न केवल एक निर्यातक देश है, बल्कि यह एक बड़ा उपभोक्ता देश भी है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि देश की प्रति व्यक्ति स्टील खपत बढ़ेगी और 2047 तक मौजूदा विश्व औसत 225 किग्रा तक पहुंच जाएगी।
उन्होंने कहा, यदि आप वर्तमान वैश्विक प्रति व्यक्ति इस्पात उपभोग के वर्तमान औसत 225 किलोग्राम से तुलना करें तो 2013-14 में देश में 57.8 किलोग्राम प्रति व्यक्ति खपत थी जो मात्र आठ वर्षों में 50 प्रतिशत वृद्धि के साथ 78 किलोग्राम प्रति व्यक्ति तक पहुंच गयी है। उन्होंने कहा कि 2047 तक प्रति व्यक्ति यह खपत तिगुनी होकर 225 किलोग्राम तक पहुंच जायेगी।
श्री सिंधिया ने कहा कि देश की इस्पात उत्पादन क्षमता पिछले आठ वर्ष में 10 करोड़ 20 लाख टन से बढ़कर 15 करोड़ 40 लाख टन तक पहुंच गयी है। उन्होंने कहा, वर्तमान में हम 12 करोड़ 10 लाख टन इस्पात का उत्पादन कर रहे हैं जबकि वर्ष 2013-14 में यह मात्र आठ करोड़ टन था। सभी चारों मापदंडों पर भारतीय इस्पात उद्योग न केवल मजबूती से कदम बढ़ा रहा है बल्कि हम दुनिया के चौथे उत्पादक से दूसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक बनने की ओर अग्रसर हैं।
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केन्द्रीय इस्पात मंत्री ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में पहले पायदान पर खड़ा देश हमसे काफी आगे हैं, लेकिन एक दिन ऐसा आयोगा, जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा इस्पात उत्पादक देश बनेगा। केंद्रीय खान एवं कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने इस मौके पर कहा कि सरकार ने एक राजस्व बंटवारा मॉडल पेश किया है, जिसके अनुसार खनिजों के शुरुआती उत्पादन पर राजस्व हिस्सेदारी पर 50 प्रतिशत की छूट दी गई है। उन्होंने कहा कि 2021 में, एमएमडीआर अधिनियम में संशोधन किया गया था ताकि चूना पत्थर, लौह अयस्क और बॉक्साइट ब्लॉकों के खनन पट्टे के लिए नीलामी की अनुमति दी जा सके।
श्री जोशी ने कहा कि पिछले सात वर्षों में विभिन्न प्रमुख खनिजों के कुल 190 ब्लॉकों की सफलतापूर्वक नीलामी की गई है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने 36 खनिज ब्लॉकों की नीलामी की है। उन्होंने कहा कि भारतीय खनिज और धातु क्षेत्र के लिए उत्पादकता और दक्षता बढ़ाने के लिए विश्व स्तर पर उपलब्ध सर्वोत्तम तकनीकों को अपनाना अनिवार्य है।
श्री जोशी ने कहा कि सरकार उद्योगपतियों और व्यापारियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने में आने वाली दिक्कतों को दूर करने के लिए सदैव तत्पर है। सरकार का मानना है कि व्यापार बढऩे से सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी जिससे गरीब कल्याण योजनाओं को लागू करने में सहूलियत होगी।
उन्होंने कार्यक्रम में खनन और धातु उद्योग से जुड़े लोगों ने कहा कि दो दिवसीय विचार-मंथन से निकलने वाले निष्कर्ष से उन्हें अवगत करायें जिससे आगामी दिनों में इससे जुड़ी नीतियां और कानून बनाने में इनका समावेश किया जा सके।