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संजय शर्मा ने दिलीप सिन्हा मामले में एफआईआर, एसआईटी जांच, ब्लैकमेलरों पर कार्रवाई, पत्रकार सुरक्षा और मुआवजे की मांग की

देश के प्रमुख कानूनी अधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने वरिष्ठ पत्रकार
दिलीप सिन्हा की संदिग्ध मौत के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से तत्काल
न्यायिक हस्तक्षेप और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की
है। संजय शर्मा ने राज्य के विभिन्न विभागों को कई आरटीआई आवेदन और
शिकायतें भेजकर इस मामले को “स्पष्ट रूप से हत्या का मामला” बताया है और
पत्रकारों के खिलाफ चल रहे ब्लैकमेलिंग गिरोहों की जांच की मांग की है

संजय शर्मा द्वारा उठाई गई मुख्य मांगें

1. एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच हो

दिलीप सिन्हा की मौत के मामले में हत्या, साजिश और उकसावे सहित भारतीय
न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराओं में तत्काल एफआईआर दर्ज की जाए।
दर्ज एफआईआर, जांच अधिकारी और जांच रिपोर्ट की प्रमाणित प्रतियां
सार्वजनिक की जाएं।
सीसीटीवी फुटेज, बस रूट रिकॉर्ड, ड्राइवर ड्यूटी चार्ट और फॉरेंसिक
सबूतों के आधार पर गहन जांच की जाए कि यह दुर्घटना पूर्वनियोजित थी या
नहीं।

2. विशेष जांच दल (SIT) का गठन

दिलीप सिन्हा द्वारा की गई सभी लंबित शिकायतों की जांच के लिए एक
उच्चस्तरीय विशेष जांच दल (SIT) गठित किया जाए।
SIT को सभी नामजद व्यक्तियों और ब्लैकमेलिंग गिरोह के सरगनाओं की
निष्पक्ष जांच और अभियोजन का अधिकार दिया जाए।

3. ब्लैकमेलिंग गिरोह के खिलाफ सख्त कार्रवाई

उन ब्लैकमेलरों और उनके नेताओं के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाए,
जिन्होंने दिलीप सिन्हा और अन्य पत्रकारों को झूठी शिकायतों और सोशल
मीडिया अभियानों के जरिए बदनाम और प्रताड़ित किया।
दोषियों के खिलाफ BNS और IT एक्ट के तहत ब्लैकमेलिंग, आपराधिक धमकी,
मानहानि और साजिश के आरोपों में मुकदमा चलाया जाए।

4. दिवंगत पत्रकार के परिवार को मुआवजा और सहायता

दिवंगत दिलीप सिन्हा के परिजनों को उनकी पत्रकारिता सेवा और परिवार को
हुई क्षति के मद्देनजर ₹5 करोड़ (पाँच करोड़ रुपये) का मुआवजा दिया जाए।
परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और सुरक्षा कवर प्रदान किया जाए।

5. पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम

पत्रकारों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए
जाएं, विशेषकर उन पत्रकारों के लिए जो धमकी, ब्लैकमेलिंग या लक्षित हिंसा
के शिकार हैं।
प्रेस स्वतंत्रता को कमजोर करने वाले व्यक्तियों और गिरोहों के खिलाफ
सख्त कार्रवाई की जाए।

पृष्ठभूमि: दिलीप सिन्हा का मामला

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिन्हा की मौत उस समय हुई जब उनकी स्कूटी को लोहिया
पथ, जियामऊ के पास एक तेज रफ्तार UPSRTC बस ने टक्कर मार दी। बस चालक
मौके से फरार हो गया। दिलीप सिन्हा के पास सिर्फ एक कलम और प्रेस कार्ड
मिला, जो उनकी पत्रकारिता के प्रति समर्पण का प्रतीक था। वे हाल ही में
एक डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की तैयारी कर रहे थे।

इस घटना से पत्रकारिता जगत में शोक और आक्रोश की लहर है। दिलीप सिन्हा ने
पहले भी ब्लैकमेलिंग गिरोहों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज कराई थीं, जिन पर
अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आरोप है कि इन गिरोहों ने सैकड़ों
वरिष्ठ और महिला पत्रकारों की प्रेस मान्यता समाप्त कराने और उन्हें सोशल
मीडिया पर बदनाम करने का षड्यंत्र रचा।

अभी भी अनुत्तरित सवाल

संजय शर्मा की शिकायतों में कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं:

क्या बस निर्धारित रूट पर थी और उसका ड्राइवर कौन था?
सीसीटीवी फुटेज में क्या सामने आया?
हाई सिक्योरिटी जोन में बस चालक कैसे फरार हुआ?
ब्लैकमेलिंग और उत्पीड़न की पूर्व शिकायतों पर क्या कार्रवाई हुई?

आधिकारिक प्रस्तुतियाँ और कानूनी पहल

संजय शर्मा ने संबंधित विभागों को:

आरटीआई आवेदन भेजकर एफआईआर, जांच रिपोर्ट और कार्रवाई की जानकारी मांगी है।
पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को शिकायतें भेजकर एफआईआर दर्ज कराने, SIT
गठन और मुआवजा देने की मांग की है।
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग को लंबित मामलों की SIT जांच के लिए आवेदन दिया है।

निष्कर्ष

संजय शर्मा की पहल यह दर्शाती है कि पत्रकारों की सुरक्षा, पारदर्शी जांच
और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता है। SIT गठन,
ब्लैकमेलरों पर सख्त कार्रवाई और दिवंगत पत्रकार के परिवार को मुआवजा
देने की मांगें न केवल न्याय की पुकार हैं, बल्कि प्रेस स्वतंत्रता की
रक्षा के लिए भी जरूरी हैं।

यह मामला प्रदेश में पत्रकारिता की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए एक
महत्वपूर्ण मोड़ बन गया है, जिस पर पूरे राज्य की नजरें टिकी हैं।

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