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‘ग्रामीण महिला स्टार्टअप्स’ ने अपने साथ गांवों का भी जगाया भाग्य, लाखों में कारोबार !

बठिंडा -: पंजाब का बठिंडा जिला ‘ग्रामीण महिला स्टार्टअप्स’ का गढ़ बन गया है। यहां छढ गांवों में द्धढज्ञ स्वयं सहायता समूह हैं। इनमें पांच हजार महिलाएं गृहिणी से उद्यमी बन गई हैं। इन गांवों में पक्का कलां गांव एक चमकता सितारा बन गया है, जहां उद्यमी महिलाएं सैनेटरी पैड, बैग, स्कूल की वर्दियां व गातरे बनाकर ‘लखपति दीदियां’ बनने की ओर अग्रसर हैं।

इन सेल्फ हेल्प ग्रुपों की प्रत्येक सदस्य मासिक ज्ञछ हजार रुपये तक आय कमा रही है। इन गांवों में स्वयं सहायता समूहों के जरिये शुरू हुए कार्य ने ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति में बढ़ा परिवर्तन किया है। उनकी गरीबी दूर होने के साथ वह स्वावलंबी बन गईं हैं।

घरों में चल रहे ये छोटे(छोटे स्वरोजगार के केंद्र अब लाखों रुपये का कारोबार कर रहे हैं। ‘ग्रामीण महिला स्टार्टअप्स’ ने अपने साथ गांवों का भी जगाया भाग्य, लाखों में कारोबारस खूब मिल रहे हैं ऑर्डर पंजाब के बठिंडा जिले में ग्रामीण महिलाओं ने उद्यमिता की मिसाल कायम की है। छढ गांवों में स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से पांच हजार महिलाएं गृहिणी से उद्यमी बन गई हैं। पक्का कलां गांव में महिलाएं सैनेटरी पैड बैग स्कूल की वर्दियां और गातरे बनाकर लाखों रुपये कमा रही हैं। इन स्वयं सहायता समूहों की प्रत्येक सदस्य मासिक ज्ञछ हजार रुपये तक कमा रही है।

बैग स्टिचिंग कर की ज्ञज्ञ लाख रुपये की कमाई

पक्का कलां की रूपिंद्र कौर ने गांव की महिलाओं को एकत्रित कर ‘ज्ञान स्वयं सहायता समूह’ बनाया था। समूह ने बैग स्टिचिंग यूनिट लगाई। समूह ने अभी काम करना शुरू ही किया था कि कोविड आ गया।

काम फिर भी चलता रहा। ग्रुप को सरकारी स्कूलों में बांटे जाने वाले निशुल्क बैग बनाने का ऑर्डर मिला तो उसके बाद उसने पीछे मुडकर नहीं देखा। रूपिंद्र कौर व उनका समूह बैग स्टिचिंग करके अब तक ज्ञज्ञ लाख रुपये कमा चुका है। गांव में बैग स्टिचिंग के लिए चार समूह बने हैं, जिनमें से अधिक महिलाएं काम कर रही हैं।

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सैनेटरी पैड बनाने का छह लाख का ऑर्डर मिला

इसी गांव की जसबीर कौर ने गांव की अन्य महिलाओं के साथ ‘ताज समूह’ बनाया और प्रशिक्षण लेकर सैनेटरी पैड बनाना शुरू किया। समूह को ममता फाउंडेशन की ओर से ट लाख रुपये का सैनेटरी पैड बनाने का ऑर्डर मिला। इस ऑर्डर को कड़ी मेहनत करके पूरा किया गया। अब यह समूह सरकारी स्कूलों में निशुल्क बांटे जाने वाले सैनेटरी पैड बना रहा है, साथ ही अपना ब्रांडनेम रजिस्टर करवाकर कारोबार भी कर रहा है।

गांव पक्का कलां की सुखबीर कौर ने गांव की महिलाओं के साथ मिलकर ‘अरदास समूह’ बनाया और गातरे बनाने के लिए स्टिचिंग यूनिट लगाई। पहले इनके बनाए हुए गातरे की बिक्री तलवंडी साबो में ही होती थी, पर अब ये गातरे मुक्तसर व अमृतसर तक मंगाए जाते हैं। हाल ही में अरदास समूह को बड़ा आर्डर मिला है। बता दें कि सिखों में छोटी किरपाण धारण करने के लिए कंधे से डाली जाने वाली कपड़े की पट्टी को ‘गातरा’ कहते हैं।

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