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राजस्व परिषद के नियमों का किया जा रहा चीरहरण ! खुलेआम राजस्व परिषद के कठोर नियमों को ताक पर रखकर कर दिया बेशकीमती भूमि का फैसला ! !

उन्नाव  -: जनपद उन्नाव सदर तहसीलदार द्वारा खुलेआम राजस्व परिषद के कठोर नियमों को ताक पर रखकर कर दिया बेशकीमती भूमि का फैसला। राजस्व परिषद के नियम अनुसार जहां किसी भी “आसंक्रमणी भूमि” का किसी के द्वारा अगर क्रय–विक्रय किया जाता है तो उक्त भूमि सरकार की मानी जाती है। और ऐसे कृत्य करने वाले व्यक्ति पर कानूनी कठोर कार्रवाई की जाती है

  •  राजस्व परिषद के नियमों का किया चीरहरण, कानून की कर दी गई गया ।
  • सपा के कद्दावर नेता जी के चलते, करोड़ों की भूमि का हो गया बंदर बांट।
  • जिला प्रशासन पत्रावली की जांच ना करा कर दिख रहा मरणासन्न स्थित में।
  • लेकिन करोड़ों की भूमि में बंदर बांट के चलते उक्त नियम भी तहसीलदार भूल गए और राजस्व को दे दिया बड़ा झटका।
  • अपने किए गए फैसला, मुकदमा नंबर T202010690108910 के आदेश में धारा 76 का अनुपालन क्यों नहीं दिखाया ?
  • आसंक्रमणी दस्तावेज सन 2007 का भूमि संक्रमणी हुई सन् 2020 में , पूर्व तहसीलदार द्वारा गलत आदेश को किया गया था स्थगन, तो वहीं वर्तमान तहसीलदार अविनाश चौधरी द्वारा आपत्तिकर्ता की एक न सुनी।
  •  और तो और पूर्व आदेश में जहां भूमाफियाओं द्वारा न्यायालय को गुमराह कर मृतक के नाम दाखिल खारिज करवा दी गई थी, वह भी वर्तमान तहसीलदार को नहीं दिखाई दिया और साथ ही पत्रावली में आदेश की तिथि व संलग्न मृत्यु प्रमाण पत्र की तिथि भी नहीं दिखाई दी।
  •  आनन-फानन बगैर आपत्तिकर्ता की कोई बहस व उसकी दलील सुने बिना स्थगन आदेश को समाप्त कर भूमाफियाओं को थमा दी गई भूमि।
  • भूमाफियाओं को दे दिया क्रय विक्रय की छूट व पूर्व गैर कानूनी आदेश को सही बता दिया।
  •  क्या दबाव था ? यह विषय गंभीर व जांच का है। इनके द्वारा कई ऐसे फैसले सदर तहसील में पड़े जिसमें राजस्व को करोड़ों की हानि हुई वह भी जांच करने योग्य है।
  •  बताते हैं कि सपा के कोई बड़े कद्दावर नेता जी व सत्ता पक्ष के जिले में मशहूर सेवा भाव की दुहाई देने वाले (तथाकथित) चर्चित नेता जी की सरपरस्ती के चलते यह खुलेआम राजस्व परिषद के कानून का किया गया चीर हरण और करोड़ों की भूमि का हो गया बंदरबांट।
  • भ्रष्टाचारी अधिकारी का जनपद में हो रहा ऑडियो वायरल,बहुत दुख के साथ कहना पड़ रहा है, कि ऐसे भृस्ट अधिकारी के विरुद्ध सरकार को उच्चस्तरीय जांच कराकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
  •  खुलेआम न्याय शब्द की गरिमा को गिराने वाले ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को दंडित किया जाना चाहिए।
  •  जिला प्रशासन भी संदर्भित पत्रावली की जांच ना कर मरणासन्न स्थिति में दिख रहा है

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