रुड़की 9 अक्टूबर (आरएनएस) - जिस प्रकार आकाश, पृथ्वी, समुद्र, राम-रावण युद्ध आदि की किसी से तुलना नहीं की जा सकती, ठीक उसी प्रकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अतुलनीय है। संगठन में शक्ति है, शक्ति से सभी कार्य संपन्न होते हैं। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संघचालक व पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक रामेश्वर प्रसाद ने आनंद स्वरूप आर्य सरस्वती विद्या मंदिर रुड़की में प्राथमिक शिक्षा वर्ग के दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता के रूप रखे। उन्होंने कहा कि भव्य इमारत के निर्माण के लिए जिस प्रकार मिट्टी के कणों को जुड़कर सांचे में ढलकर तपना पड़ता है, उसी प्रकार संघ की शाखा स्वयंसेवक को संस्कार रूपी ढांचे में डालकर उसका सर्वांगीण विकास कर राष्ट्र निर्माण में लगाता है। हिंदू आदि काल से चला आ रहा है। इसे जोडऩे का सीमेंट संस्कृति है। भारत को इसी भारतीय संस्कृति के आधार पर हिंदू राष्ट्र कहा जाता है।