राष्ट्रीय

राहुल गांधी ( Rahul Gandhi)पर क्‍यों बेअसर ठंड?

नई दिल्‍ली. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा अब हरियाणा के करनाल से आगे बढ़ गई है. पूर्व उत्‍तर भारत में पड़ रही कड़ाके की इस ठंड में जब लोग घरों के बाहर कदम नहीं रख पा रहे हैं और ऊनी कपड़ों में जकड़े हुए हैं वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi) एक टी-शर्ट पहनकर सड़क पर चल रहे हैं. वहीं टीशर्ट से प्रेरित होकर देशव्‍यापी यात्रा के समर्थन में लोग भी टीशर्ट पहनकर या शर्टलेस होकर समर्थन करते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि राहुल गांधी की सिर्फ टीशर्ट में यात्रा को लेकर सोशल मीडिया से लेकर आम बातचीत में लोग सवाल भी पूछ रहे हैं और जानना चाहते हैं कि आखिर जनवरी की सर्दी में राहुल गांधी को ठंड क्‍यों नहीं लग रही है? इस सवाल पर न्‍यूज18 हिंदी ने दिल्‍ली एम्‍स के पूर्व निदेशक डॉ. एमसी मिश्रा और जाने-माने साहित्यकार प्रदीप सौरभ से बातचीत की है.

डॉ. एमसी मिश्रा कहते हैं कि भरी सर्दी में राहुल गांधी सिर्फ टीशर्ट पहनकर भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चल रहे हैं, जबकि उनके आसपास लोग गर्म कपड़ों में हैं, ऐसे में लोगों को उन्‍हें लेकर आश्‍चर्य करना संभव है लेकिन वैज्ञानिक द्रष्टि से यह होना सामान्य है.

शरीर में तापमान झेलने की क्षमता होती है अलग
डॉ. मिश्रा कहते हैं कि हर व्यक्ति के शरीर में तापमान को झेलने की अलग-अलग क्षमता होती है. किसी को सर्दी या गर्मी ज्‍यादा लगती है तो किसी को भरी सर्दी में भी बहुत असर नहीं पड़ता. हमारे आसपास बहुत सारे लोग हैं जो पूरी सर्दी ठंडे पानी से नहाते हैं, बहुत कम गर्म कपड़े पहनते हैं. इसके अलावा भी कुछ चीजें हैं हैं जो राहुल गांधी के संदर्भ में ही जा सकती हैं
ये तीन वजहें हो सकती हैं महत्‍वपूर्ण
मसलन वे भारत जोड़ो यात्रा में पैदल चलते हैं. पैदल चलने से भी शरीर में गर्मी और ऊर्जा आती है. वहीं दूसरी वजह ये हो सकती है कि यह यात्रा दिन में होती है उस समय तापमान भी 15-20 के आसपास रहता है, लिहाजा बहुत अधिक ठंड नहीं रहती, इस समय पर टीशर्ट पहनकर आसानी से चला जा सकता है. एक और जो महत्‍वपूर्ण चीज है वह यह कि किसी चीज के प्रति अगर आस्था हो और निश्चय कर लिया गया हो तो भी व्यक्ति का दिमाग ठंड या गर्मी के प्रति बहुत हद तक स्थिर रहता है और इसी के अनुसार शरीर भी काम करता है.

भारत के हजारों लोगों पर नहीं सर्दी-गर्मी का असर
वहीं जाने-माने साहित्‍यकार और वरिष्‍ठ पत्रकार प्रदीप सौरभ कहते हैं क‍ि मौसम चाहे सर्दी हो या गर्मी इसे महसूस करना व्‍यक्ति की शारीरिक क्षमता और आत्‍मशक्ति पर भी निर्भर करता है. एक वाकया है सिद्ध योगी धीरेंद्र ब्रह्मचारी जब एक बार मॉस्‍को में विमान से उतरे तो वहां का तापमान माइनस में था और उनके शरीर के ऊपरी भाग पर कोई वस्‍त्र नहीं था तो यह देखकर रशियन आश्‍चर्य से भर गए लेकिन उनके लिए ये सब सामान्‍य था. हालांकि भारत में तो हजारों सामान्‍य और आम भारतवासी भी भीषण सर्दी में चाहे मकर संक्रांति हो, माघ मेला हो या कुंभ मेला हो, सुबह-सुबह भरी ठंड में नदियों के ठंडे पानी में स्‍नान करते हैं. वे जब घरों से निकलते हैं तो रजाई ओढ़कर थोड़े आते हैं, सामान्‍य कपड़ों में आते हैं, नहाते हैं.

खुद प्रयोग कर जाना
प्रदीप बताते हैं, मैं खुद एक बार यह प्रयोग कर चुका हूं. जब में 10वीं कक्षा में था और यूपी में पाला पड़ा था, ठंड से सैकड़ों लोग मरे थे, उस वक्‍त मैंने दृढ़ निश्‍चय किया कि ऊपरी अंग पर कोई वस्‍त्र नहीं पहनूंगा, चप्‍पल नहीं पहनूंगा, साइकिल-रिक्‍शे पर नहीं चलूंगा, तो वह आराम से हो गया. उसमें कोई परेशानी नहीं हुई. इसलिए राहुल गांधी अगर टीशर्ट पहनकर भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं तो इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं होना चाहिए.

कुछ बीमारियां भी नहीं लगने देतीं ठंड
वहीं एमसी मिश्रा आगे कहते हैं कि इसका राहुल गांधी या उनकी यात्रा से संबंध नहीं है लेकिन आम जनमानस के परिप्रेक्ष्‍य में देखें तो कुछ बीमारियां भी ऐसी होती हैं जो शरीर में ठंड के महसूस होने को कम कर देती हैं. जैसे हाइपर थाइराइड इनमें से एक है. उस स्थिति में भी व्‍यक्ति को ठंड कम लग सकती है.

Show More

यह भी जरुर पढ़ें !

Back to top button