President Kovind : ‘बोडो समाज के लोगों से मेरा पुराना परिचय’, जाने पूरी खबर

नई दिल्ली। President Kovind : ‘बोडो समाज के लोगों से मेरा पुराना परिचय’, जाने पूरी खबर… राष्ट्रपति कोविन्द ने असम के तामुलपुर में बोडो साहित्य सभा के 61वें वार्षिक सम्मेलन में सम्मलित हुए उन्होंने कहा बोडो समाज के लोगों से मेरा पुराना परिचय रहा है। मेरे लिए बोडो संस्कृति और भाषा से संपर्क कोई नई बात नहीं है। आगे उन्होंने कहा मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि अनेक महिलाएं बोडो साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य सृजन कर रही हैं। मैं चाहता हूं कि महिला रचनाकारों को राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक मान्यता प्राप्त हो। बोडो भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु संविधान संशोधन वर्ष 2003 में हुआ और उसकी घोषणा जनवरी 2004 में की गई।
President Kovind ने असम के तामुलपुर में बोडो साहित्य सभा के 61वें वार्षिक सम्मेलन में कहा
उस समय भारत-रत्न श्रद्धेय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी देश के प्रधानमंत्री थे। राष्ट्रपति कोविन्द ने कहा केंद्र सरकार और पूर्वोत्तर के राज्यों की सरकारों के संयुक्त प्रयासों से इस क्षेत्र में सौहार्द और शांति का वातावरण और मजबूत बनता जा रहा है। इस परिवर्तन के लिए मैं केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा बोडो क्षेत्र के सभी भाइयों और बहनों को बधाई देता हूं। राष्ट्रपति अपनी पत्नी के साथ इस दौरे पर हैं। राष्ट्रपति के साथ असम के राज्यपाल प्रो. जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और अन्य गणमान्य व्यक्ति बीएसएस के इस मेगा कार्यक्रम में शामिल हुए हैं।
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आपको बता दें कि राम नाथ कोविन्द एक क्षेत्रीय भाषा साहित्यिक बैठक के 61 वें वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने और संबोधित करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र, जहां आदिवासी और गैर-आदिवासी रहते हैं और यहां 200 से अधिक बोलियों को संरक्षित करते हैं। बीएसएस का यह तीन दिवसीय सम्मेलन सोमवार से शुरू हो गया था। असम सरकार ने राज्य सरकार के उन कर्मचारियों के लिए विशेष आकस्मिक अवकाश स्वीकृत किया है जो भूटान और पश्चिम बंगाल की सीमा से लगे बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र के तामुलपुर के कचुबरी में हो रहे सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। बीएसएस के अध्यक्ष टोरेन सी बोरो ने कहा कि अब तक दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हजारों प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में भाग लिया।
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असम साहित्य सभा से प्रेरित होकर 1952 में साहित्य, संस्कृति और भाषा के विकास के लिए बीएसएस का गठन किया गया था। यह विभिन्न जातीय समूहों के बीच समन्वय बनाए रखने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। बोडो (या बोरोस) कभी पूर्वोत्तर में एक शक्तिशाली और प्रभावशाली जाति थी। जनवरी 2020 में केंद्र, असम सरकार और चार बोडो उग्रवादी संगठनों के बीच बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद असम सरकार ने 2020 में बोडो भाषा को राज्य की सहयोगी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी। 2011 की जनगणना के अनुसार, असम में राज्य की कुल आबादी के लगभग 14.16 लाख बोडो भाषी (4.53 प्रतिशत) हैं।