लखनऊ

चित्रकूट में श्रद्धालुओं के स्वागत को भव्य बनाने की तैयारी, तीन भक्ति-थीम प्रवेश द्वारों का होगा निर्माण !

लखनऊ -:  ( चित्रकूट, 26 जुलाई ) — भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट में अब श्रद्धालुओं का स्वागत और भी भव्य व भावनात्मक रूप में होगा। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने तीर्थ स्थलों के विकास की योजना के अंतर्गत चित्रकूट में तीन प्रमुख सड़क मार्गों पर भक्ति थीम पर आधारित प्रवेश द्वारों के निर्माण की परियोजना शुरू की है। इसके लिए 5 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। यह जानकारी पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि इन तीन प्रवेश द्वारों का निर्माण प्रयागराज-चित्रकूट, बांदा-चित्रकूट और कौशांबी-चित्रकूट मार्ग पर किया जा रहा है। इन मार्गों से चित्रकूट आने वाले श्रद्धालुओं को भक्ति और स्थापत्य की एक ऐसी झलक मिलेगी जो उन्हें रामायण काल के आध्यात्मिक परिवेश की अनुभूति कराएगी।जयवीर सिंह ने कहा कि चित्रकूट वह भूमि है जहां वनवास के दौरान प्रभु श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण ने साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे। यह स्थल राम वन गमन पथ का अत्यंत पवित्र पड़ाव है और राज्य सरकार इसे आध्यात्मिक पर्यटन के वैश्विक मानचित्र पर प्रमुखता से स्थापित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है।

परियोजना के तहत बनने वाले प्रवेश द्वारों की डिज़ाइन में भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण की छवियां, धार्मिक प्रतीक, स्थानीय स्थापत्य शैली और लोक संस्कृति की झलक समाहित की जा रही है। पर्यटन मंत्री ने बताया कि इसका उद्देश्य केवल श्रद्धालुओं का स्वागत भर नहीं, बल्कि उन्हें यात्रा के दौरान चित्रकूट की दिव्यता, आध्यात्मिक गरिमा और सांस्कृतिक ऐश्वर्य का अनुभव कराना है।जयवीर सिंह ने कहा, “पर्यटन विभाग की यह पहल धार्मिक पर्यटन को गति देने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की यात्रा को भावनात्मक रूप से समृद्ध बनाएगी। हर द्वार एक प्रतीक होगा—श्रद्धा, संस्कृति और अध्यात्म का।

”उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश देश में घरेलू पर्यटन में प्रथम स्थान पर बना हुआ है। वर्ष 2024 में 65 करोड़ पर्यटकों ने प्रदेश के विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों का भ्रमण किया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि प्रदेश की आध्यात्मिक विरासत लोगों को किस तरह आकर्षित कर रही है।चित्रकूट की भूमिका इस धार्मिक पर्यटन श्रृंखला में बेहद महत्वपूर्ण है। यह प्रयागराज, अयोध्या और वाराणसी के साथ मिलकर एक आध्यात्मिक त्रिकोण का निर्माण करता है। यहां स्थित कामदगिरि पर्वत, गुप्त गोदावरी, हनुमान धारा, सती अनुसूया आश्रम, जानकी कुंड आदि प्रमुख तीर्थस्थल श्रद्धालुओं के बीच अत्यंत श्रद्धा और पुण्य भाव से पूज्य हैं।पर्यटन विभाग की इस योजना से चित्रकूट की आध्यात्मिक गरिमा को नई पहचान मिलने के साथ-साथ तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर सुविधाएं सुनिश्चित होंगी।

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