जयपुर । सत्ताधारी पार्टी (preparation) में नेताओं की आपसी खींचतान यूनिवर्सल ट्रूथ बन गई है। महंगाई के खिलाफ रैली की तैयारियों (preparation) को लेकर राजधानी के एक बड़े होटल में मंत्री-विधायक और नेता जुटे। उस मीटिंग में दिए प्रदेश के मुखिया के भाषण की अब तक चर्चा है। असल में सभी नेता चाणक्य के पास खुद की ही पैरवी करते हैं और टिकट पक्का करना असली मकसद है।
जिनकी मूर्ति पर कांग्रेस ने नेशनल लेवल पर विवाद किया था, उन्हें ही ललित कला अकादमी का चेयरमैन बना दिया। वैसे विवाद मूर्तिकार का नहीं, मूर्ति का था। सत्ताधारी पार्टी ने टॉलरेंस और लिबरल भाव का परिचय दिया, लेकिन जानकारों ने इसे पॉलिटिकली इनकरेक्ट करार दिया है।
इन नेताओं का आकलन है कि उनकी नेता की टिकटों में नहीं चले तो कहीं बेवजह निशाना नहीं बन जाएं, इसलिए कई ने दिल्ली जाकर अपनी प्रजेंस दिखानी शुरू कर दी है। मुखिया ने बेबाकी से कहा बताया- जिसे गलतफहमी हो, वह कांग्रेस छोड़कर देख ले,पता लग जाएगा। अब सियासी समझदारों को इशारा काफी है कि निशाने पर कौन थे? जिन पर निशाना था, वे भी बगल में ही बैठे थे।
वक्त मिल गया और मुलाकात हो गई। आयकर अफसर राहुल गांधी से पूछताछ करने वाले ईडी अफसर के दोस्त बताए जा रहे हैं। इस मुलाकात के मकसद को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। ईडी, इनकम टैक्स अफसरों से सत्ता के सबसे बड़े केंद्र से जुड़ा ओएसडी बेवजह तो नहीं मिलेगा।