निजीकरण के विरोध में पांचवे दिन भी बिजली कर्मचारियों ने किया प्रदर्शन

लखनऊ। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। इसी क्रम में आज पांचवे दिन भी प्रदेश व्यापी विरोध सभा का क्रम जारी रहा। बुधवार को विरोध प्रदर्शन के पांचवे दिन मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पर हुई विरोध सभा में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने अपनी मांग रखते हुए केंद्र सरकार को चेतावनी दी है। कर्मचारियोंका कहना है अगर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन और निजीकरण की दिशा में एक भी और कदम उठाया गया, तो बिना और कोई नोटिस दिए सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन करेंगे, जिसमे पूर्ण हड़ताल भी होगी। इस हड़ताल की पूरी जिम्मेदारी प्रबंधन और सरकार की होगी। सभा को सम्बोधित करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा निगमो का शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह से विफल हो गया है और अपनी नाकामी को छिपाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ऊर्जा निगमों का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल कर ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति को पैदा किया जा रहा है। संघर्ष समिति का कहना है कि दिसंबर 1993 में ग्रेटर नोएडा क्षेत्र का निजीकरण किया गया और अप्रैल 2010 में आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेन्ट फ्रेंचाइजी को दी गई और यह दोनों ही प्रयोग विफल रहे हैं। इन प्रयोगों के चलते पावर कारपोरेशन को अरबों-खरबों रुपए का घाटा हुआ है और अभी भी हो रहा है। दरअसल सरकार के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विघटन कर तीन छोटे निगम बनाए जाएंगे और उनका निजीकरण किया जाएगा। लेकिन आगरा और नोएडा में किए गए प्रयास को देखकर यह कहा जा सकता है कि सरकार अब एक फिर से पुरानी गलती को ही दोहराने जा रही है। संघर्ष समिति ने विघटन और निजीकरण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर पढऩे वाले प्रतिगामी प्रभाव और उपभोक्ताओं व गरीब किसानों के लिए बेतहाशा महंगी बिजली के रूप में आने वाली कठिनाई की ओर भी सरकार और प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया है।