उत्तर प्रदेश

अतीक(Atiq ) गिरोह की धरपकड़ में जुटी पुलिस

प्रयागराज. माफिया से राजनेता बने अतीक (Atiq ) अहमद और उसके भाई खालिद अजीम (उर्फ अशरफ) की मौत के बाद, पुलिस को संदेह है कि उसके गुर्गे कई सौ करोड़ रुपये के अवैध साम्राज्य पर कब्जा जमाने एक-दूसरे से लड़ सकते हैं. अतीक के इस अकूत अवैध साम्राज्य पर वर्चस्व कायम करने की अधिक संभावना इसलिए है क्योंकि अतीक का कोई भी बेटा इसे संभालने की स्थिति में नहीं है. गैंगवार की आशंका को देखते हुए पुलिस कार्रवाई को लेकर एक्टिव है.

पुलिस हिरासत में हुए हमले में मारे गए अतीक अहमद के पांच बेटे थे, जिनमें से एक असद पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था. दो बड़े उमर और अली जेलों में बंद हैं, जबकि छोटे दो (दोनों नाबालिग) भी सरकारी अस्पताल में हैं. इसलिए अतीक के कई गुर्गे अब उसके अवैध धंधों पर कब्जा करना चाह रहे हैं. पुलिस को संदेह है कि गिरोह में वर्चस्व को लेकर विवाद के परिणामस्वरूप प्रयागराज में गैंगवार हो सकती है. पुलिस इस तरह की स्थितियां उत्पन्न होने की आशंका को रोकने को लेकर पहले से ही सतर्क है.

अतीक गिरोह की धरपकड़ में जुटी पुलिस
यूपी पुलिस गिरोह के कई सदस्यों को उनके द्वारा किए गए विभिन्न अपराधों के लिए भी पकड़ रही है. वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने पुष्टि की कि पुलिस गिरोह के उन सदस्यों पर भी नजर रख रही है जो अब जमानत पर बाहर हैं और पिछले कई वर्षों से निष्क्रिय हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, अतीक के गिरोह में 135 से अधिक सदस्य हैं, जिन्हें आईएस -227 के रूप में जाना जाता है. अधिकारियों का कहना है कि अतीक के गिरोह के कई सदस्यों में स्थिति के अनुसार अपनी रणनीति बदलने की प्रवृत्ति है.

भूस्वामियों से कम दामों में हड़पी जमीनें
अतीक के गिरोह के विश्लेषण से पता चलता है कि कई सदस्य तब सक्रिय हो जाते हैं जब परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, जबकि वे कार्रवाई के दौरान बड़े पैमाने पर निष्क्रिय रहते हैं. पिछले कई दशकों के दौरान, अतीक ने प्रयागराज में प्रमुख स्थानों पर सैकड़ों बीघा जमीन को उनके मालिकों से उनकी वास्तविक लागत से बहुत कम राशि के बदले में खरीदकर हड़प लिया है. अधिकारियों ने कहा कि विरोध करने की हिम्मत करने वाले कुछ भूस्वामियों को धमकी दी गई और उनकी हत्या कर दी गई.

इन इलाकों में खरीदी कई जमीनें
अतीक ने इनमें से ज्यादातर जमीनें अपने गिरोह के सदस्यों और सहयोगियों के नाम पर झलवा, कसारी मसारी, पीपलगांव, बमरौली, देवघाट, करेहंडा, पुरमुफ्ती और यहां तक कि कौशांबी जिलों में खरीदीं. अतीक की पहले की टाउनशिप परियोजनाओं अलीना सिटी और अहमद सिटी को भी उसके सहयोगियों और गिरोह के सदस्यों द्वारा संभाला जाता था. अधिकारियों ने कहा कि प्रयागराज और अन्य जगहों पर रियल एस्टेट व्यवसाय अतीक के गिरोह के लिए वित्त का सबसे बड़ा स्रोत था.
टाउनशिप विकसित कर बेचते थे अतीक के गुर्गे
अतीक का सहयोगी अवैध टाउनशिप विकसित करता था और जमीन के छोटे भूखंडों को ऊंची दरों पर बेचता था. अतीक इस तरह के सौदों में मुनाफे का बड़ा हिस्सा लेता था. अतीक और अशरफ अपने रियल एस्टेट कारोबार में शामिल व्यक्तियों पर कड़ी नजर रखते थे और किए गए लेनदेन का नियमित विवरण लेते थे.

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