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प्रदर्शनों में हुए नुकसान की भरपाई करेगी PFI

तिरुवनंतपुरम। कोर्ट (Cover) ने राज्य सरकार के रवैये पर चिंता जताई ए हड़ताल के आयोजकों को रोकने के लिए सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। इन लोगों ने गैरकानूनी प्रदर्शन किए और सड़कों को कई घंटों तक जाम रखा। जब 2019 में हाईकोर्ट ने ऐसे विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ (Cover) आदेश सुनाया था।

KSRTC ने कोर्ट में याचिका दाखिल करके बताया था कि हड़ताल की पहले से सूचना नहीं दी गई , जिसके चलते हड़ताल के दौरान उनकी बसें क्षतिग्रस्त हुईं और पैसेंजर्स भी बसों में नहीं बैठे। इसी संबंध में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि संगठन को इस नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना जरूरी है।

केरल में PFI के पूर्व महासचिव अब्दुल सतार को हड़ताल से जुड़े सभी केस में आरोपी बनाना चाहिए। मीडिया रिपोर्ट्स से जानकारी मिली है कि 23 सितंबर को पुलिस ने हालात पर काबू पाने के लिए तब तक कोई कदम नहीं उठाया, जब तक कोर्ट ने इस मामले में दखल नहीं दिया।

मामलों में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान मजिस्ट्रियल कोर्ट या सेशन कोर्ट को यह शर्त रखनी चाहिए कि पहले जुर्माने की राशि भरी जाएगी। बेंच ने कहा कि राज्य के नागरिकों को सिर्फ इसलिए डर में जीने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि उनके पास हिंसा फैलाने वाले लोगों या राजनीतिक दलों जैसे साधन नहीं है।

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