केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ‘पीएफआई’ के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए इस संगठन पर पांच वर्ष के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन जारी किया गया है। टेरर लिंक एवं दूसरे कई आधार पर पीएफआई के खिलाफ यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट) के तहत इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है। सरकार ने पीएफआई एवं इससे जुड़े संगठनों की गतिविधियों को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा माना है। सुरक्षा एवं जांच एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों का दावा है कि ये आखिरी चोट नहीं है। अभी असल पर्दा उठना बाकी है। क्या पीएफआई, विदेशी खुफिया एजेंसियों का मोहरा बन चुका था, इस संबंध में कई राज खुलने बाकी हैं। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘आईएसआई’ ने जम्मू-कश्मीर के आतंकी संगठन, हिजबुल मुजाहिदीन को जिस तरह से अपना मोहरा बनाया था, कुछ वैसे ही पीएफआई के तार भी वहां से जुड़ने का खुलासा हो सकता है।
आतंकी समूहों से रहे हैं पीएफआई के संबंध
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई के फाउंडिंग मेंबर्स, सिम्मी से जुड़े रहे हैं। ये संगठन भारत में प्रतिबंधित है। जमात-उल-मुजाहिदीन, बांग्लादेश इसके साथ भी पीएफआई के संबंध बताए जाते हैं। इस संगठन पर भी बैन लगा है। दिल्ली पुलिस के पूर्व स्पेशल सीपी एवं ईडी के निदेशक रह चुके करनैल सिंह मानते हैं कि पीएफआई की गतिविधियां संदिग्ध रही हैं। जांच एजेंसियों को इस बाबत काफी सबूत मिले हैं। इस संगठन पर बहुत समय पहले ही बैन लग जाना चाहिए था।
करीब दो दर्जन राज्यों में पीएफआई एवं इसके सहयोगी संगठनों की पहुंच रही है। विदेशी खुफिया एजेंसियां, ऐसे संगठनों को ही मोहरा बनाकर देश में तोड़फोड़ की साजिश रचती हैं। हिजबुल मुजाहिदीन का उदाहरण सामने हैं। पाकिस्तान की आईएसआई ने भारत के खिलाफ इस संगठन का जमकर इस्तेमाल किया है। हिजबुल मुजाहिद्दीन को भारत ही नहीं, बल्कि यूरोपीय संघ सहित अमेरिका भी आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है। इस संगठन की कमान सैयद सलाहुद्दीन के हाथ में है जो पाकिस्तान में बैठकर अपनी आतंकी गतिविधियों का संचालन करता है। इन सबके मद्देनजर, पीएफआई पर प्रतिबंध लगाना बहुत जरूरी था।
टारगेट किलिंग व सांप्रदायिक विवाद में पीएफआई
एनआईए में कई वर्षों तक सेवाएं देने के बाद अपने मूल कैडर में लौटे एक आईपीएस अधिकारी का कहना है, इस संगठन में हर चीज के एक्सपर्ट बैठे हैं। टारगेट किलिंग हों या सांप्रदायिक विवाद कराना, ऐसे संगठनों के लिए बहुत आसान है। पीएफआई के पास विस्फोटक तैयार करने वाले लोगों की एक टीम है। अगर ईडी ने कोर्ट में यह कहा है कि ये संगठन, पीएम पर हमले का प्लान बना रहा था तो वह गलत नहीं है। ऐसे लोग, किसी सीमा तक भी जा सकते हैं। अगर गैर-कानूनी गतिविधियों के आरोप में पुलिस इस संगठन के लोगों को गिरफ्तार करती, तो उनकी पैरवी के लिए वकीलों की लाइन लग जाती थी। दो-तीन वर्ष से यह भी देखने में आया है कि पीएफआई को विदेश से मिल रही फंडिंग का तरीका भी बदल गया था। जांच एजेंसियों से बचने के लिए सामान्य समूहों व लोगों के खातों में पैसे आ रहे थे। इसके लिए कई मुखौटा समूह या कंपनी भी तैयार की गई।
वैश्विक आतंकी समूहों से जुड़ गया पीएफआई
आईएसआईएस जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से पीएफआई का मेलजोल काफी ज्यादा बढ़ गया था। संगठन के कुछ सदस्यों ने आईएसआईएस ज्वाइन भी कर लिया। आतंकी गतिविधियों के लिए ट्रेनिंग की बात होने लगी। बाद में यह साबित हो गया कि पीएफआई और उसके संगठन, सार्वजनिक तौर पर एक सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक संगठन के रूप में कार्य करते रहे हैं।
यह संगठन अपने एक गुप्त एजेंडे के आधार पर समाज के एक वर्ग को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर कर रहा था। इसके सदस्य देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति घोर अनादर दिखाते हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीएफआई की हकरतें, देश की अखंडता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रतिकूल हैं। इनसे शांति तथा साम्पद्रायिक सदभाव का माहौल खराब होने और देश में उग्रवाद को प्रोत्साहन मिलने की आशंका है।
देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बना पीएफआई
पीएफआई, कई तरह के आपराधिक और आतंकी मामलों में शामिल रहा है। बाहरी स्रोतों से प्राप्त धन और वैचाारिक समर्थन के बल पर यह संगठन, देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। इस संगठन के कुछ सदस्य, अंतरराष्ट्रीय आतंकी समूहों से जुड़े रहे हैं। इसके सदस्य, सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान में आतंकी कार्यकलापों में भाग ले चुके हैं। इन जगहों पर पीएफआई के कई सदस्य मारे भी गए हैं। पीएफआई व इसके सहयोगी संगठन, आपराधिक षडयंत्र के तहत भारत के अंदर और बाहर से धन एकत्रित कर रहे हैं। एनआईए एवं सहयोगी एजेंसियों की छापेमारी के बाद सरकार ने इस संगठन को बैन किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित केंद्र सरकार में कई मंत्री पीएफआई की संदिग्ध गतिविधियों पर सवाल खड़े कर चुके हैं। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पीएफआई के संदर्भ में कहा, केरल आतंकवाद और कर्ज जाल का गढ़ बन गया है। केरल में सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। यहां पर जो लोग हिंसा करते हैं, उन्हें वाम सरकार का मौन समर्थन हासिल है।