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पेंशनरों ने पुरानी पेंशन, डीए,डीआर बहाली सहित ज्वलंत मुद्दों पर सरकार को चेताया

लखनऊ । पूर्व घोषित कार्यक्रमानुसार सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन, उ0प्र0 के आवाह्न पर आज सरकार की उदासीनता से नाराज सेवानिवृत्त कर्मचारियों एवं पेंशनरों ने प्रदेश के समस्त जनपद मुख्यालयों पर वाजिब लम्बित एवं ज्वलंत मुद्दों को लेकर कोविड नियमों का पालन करते हुए एकदिवसीय धरना प्रदर्शन कर सरकार को चेताया और मांगों का अनुस्मारक ज्ञापन जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा है। तमाम जनपदों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आज के कार्यक्रम में हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारियों के साथ सेवारत कर्मियों ने भी हिस्सा लिया। राजधानी लखनऊ में यह कार्यक्रम स्थानीय सरोजनी नायडू पार्क स्थित कर्मचारी मसीहा स्व0 बी0एल0 सिंह प्रतिमा स्थल पर आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता जिला अध्यक्ष अंगद सिंह एवं संचालन जिला मंत्री आर0सी0 उपाध्याय ने किया। इसमें संगठन के शीर्ष प्रदेश पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। यहां पुलिस कमिश्नर लखनऊ के माध्यम से ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा गया। धरना स्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष अमरनाथ यादव ने कहा कि केन्द्र,राज्य सरकार सशर्त अग्रिम एवं एल0टी0सी0 कैश कूपन के माध्यम से कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स की क्रय शक्ति बढ़ाने का निष्फल प्रयोग कर रही है। हमने प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर मांग किया है कि जनवरी 2020 से जून 2021 तक फ्रीज्ड,डी0ए0,डी0आर0 रिलीज किया जाय तब उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी, बाजार में मांग बढ़ेगी, सप्लाई चेन बढ़ेगी जो अर्थव्यवस्था को गति में सहायक होगी। शर्तों के अनुसार मिलने वाली अग्रिम धनराशि का तीन गुना पास से मिलाकर बाजार से 12 प्रतिशत से अधिक जी0एस0टी0 वाला सामान खरीदने पर यह सुविधा मिलेगी। अल्पवेतन भोगियों की स्थिति ऐसी नहीं है। उन्होंने क्षोभ व्यक्त किया कि अब तक सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है। इसी तरह एन0पी0एस0 समाप्त कर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने, राशिकृत धनराशि जिसकी भरपाई 98 माह में पूरी हो जाती है को 15 वर्ष की बजाय 10 वर्ष पर बहाल करने, सभी रोगों के इलाज हेतु कैशलेश व्यवस्था लागू करने, चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति का भुगतान समय सीमा में कराने, आश्रितों के लिए आय, आयु व साथ रहने की शर्त हटाने, 30 जून को सेवानिवृत्त कार्मिक,पेंशनर को एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि देने, एन0पी0एस0 से आच्छादित कर्मचारियों द्वारा पारिवारिक पेंशन का विकल्प देने पर टियर-2 खाते में जमा धनराशि जब्त करने के बजाय आश्रितों को भुगतान करने, निजी अस्पतालों में इलाज पर 01 माह में सूचना देने और अनिवार्यता प्रमाण-पत्र की शर्त हटाने, कोषागार से निर्गत दो फोल्ड के परिचय पत्र के स्थान पर स्मार्ट कार्ड जारी करने, पेंशनर की मृत्यु पश्चात् कोई वसूली पारिवारिक पेंशनर से नहीं करने, पेंशनरों के मुद्दों पर विभागाध्यक्षों,जिलाधिकारियों के स्तर पर मासिक समीक्षा बैठकें करने, सहित 22 सूत्रीय मांग के समाधान पर सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया है, जिससे असन्तोष बढ़ रहा है। वरिष्ठ उपाध्यक्ष बी0एल0 कुशवाहा ने कहा कि सरकार के स्तर पर उदासीनता का आलम यह है कि स्वयं सरकार द्वारा पेंशनर्स के मुद्दों पर अपर मुख्य सचिव, वित्त की अध्यक्षता में गठित अधिकारिक बाडी पेंशन सलाहकार समिति जिसका यह संगठन भी एक सदस्य है की दिनांक 22-12-2017 के बाद से अब तक कोई बैठक नहीं बुलाई गयी जिसमें विचार विमर्श हो पाता जबकि शासनादेशानुसार नियमित रूप से प्रत्येक 3 माह में इस कमेटी की बैठक होनी थी। 17 सितम्बर, 2019 को भी जनपद शाखाओं ने जिलाधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन भेजा था, पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। 27 नवम्बर, 2019 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर 25000 पेंशनरों के संयुक्त हस्ताक्षर मुक्त याचिका ज्ञापन मा0 प्रधानमंत्री जी को सौंपा था, जिस पर कई केन्द्रीय मंत्रालयों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर कार्यवाही की अपेक्षा की जिस पर प्रदेश शासन चुप्पी मार गया। हमारे पास अपनी पीड़ा व्यक्त करने के लिए आंदोलन को आगे बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। कार्यकारी महामंत्री ओ0पी0 त्रिपाठी ने कहा कि सरकार लम्बित मांगों का समाधान तो दूर उल्टे निरन्तर कर्मचारियों, शिक्षकों, पेंशनर्स का अहित करने वाले फैसले कर रही है। अभी हाल में एक अध्यादेश जारी कर दैनिक संविदा, आकस्मिक वर्कचार्ज तदर्थ किसी भी रूप में की गयी सेवाओं को पेंशनरी लाभ में जोडऩे को नकारते हुए उसे पूर्ववर्ती तिथि वर्ष 1961 से लागू कर दिया है। इससे आने वाले दिनों में वेतनध्पेंशन में कटौती की तलवार लटकेगी। एक दूसरे आदेश में वर्ष 2008 से लागू ए0सी0पी0 व्यवस्था में संशोधन करके कनिष्ठ कार्मिक का वेतन,पेंशन अधिक होने पर वरिष्ठ का उसके बराबर किये जाने की सुविधा को समाप्त कर दिया गया है। इसी तरह बेरोजगार युवाओं को तमाम प्रतियोगी परीक्षायें पास करने के बाद भी सेवा में 5 वर्ष तक संविदा पर काम करने और प्रत्येक छमाही समीक्षा में अधिकारियों की मंशानुरूप नहीं पाये जाने पर सेवा से बाहर करने का प्राविधान प्रस्तावित है। कर्मचारी शिक्षक पेंशनर्स के परिवारों के युवा भी बेरोजगारी के शिकार हैं। सरकार चाहती है कि वाजिब मुद्दों पर भी उससे सवाल न किया जाय तो आखिर हम किससे अपनी कठिनाइयां कहने जायं ? सभा को सर्वश्री डॉ0 आर0पी0 मिश्रा, रेनू शुक्ला, शशिकांता, नेबू लाल, राजेन्द्र यादव, रामस्वरूप कश्यप, गिरीश चन्द्र वर्मा, एम0एल0 भारती, आर0डी0 कनौजिया, जवाहर लाल, दिनेश चन्द्र बाजपेई, आर0पी0 सिंह, अशोक मिश्रा, नरेन्द्र कुमार, रामवृक्ष, के0जी0 वर्मा एवं प्रवेश कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किया और आन्दोलन को आगे बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाने का समरूप दोहराया।

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