देवता तक मानव शरीर को पाने की करते हैं कामना-पंकज महाराज
किशनी। जय गुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के मुख्यालय मथुरा में संस्थाध्यक्ष पंकज जी महाराज के सानिध्य में निकली 108 दिवसीय शाकाहार-सदाचार आध्यात्मिक वैचारिक जनजागरण यात्रा सोमवार देर सायं चतुरीपुर पर जब पहुंची तो स्थानीय लोगों ने बैण्डबाजा,आतिशबाजी,पुष्पवर्षा और कलश यात्रा निकाल कर भव्य स्वागत किया।
जीएसटी में ईडी व ऑनलाइन व्यापार को समाप्त करे सरकार-डॉ.सुमंत गुप्ता
सोमवार को चतुरीपुर में जय गुरुदेव सत्संग समारोह का आयोजन किया गया जिसमें हजारों अनुयायी मौजूद रहे।सत्संग में प्रवचन करते हुये पंकज जी महाराज ने कहाकि चौरासी लाख यानियों में मानव सर्वश्रेष्ठ है। इसमें से प्रभु के पास जाने का रास्ता है। इसीलिये देवता तक मानव शरीर पाने की कामना करते हैं। दोनों आंखों के मध्य भाग में आत्मा विराजमान है जिसे सन्तजन सुरत कहते हैं। इसके अन्दर प्रभुु की परासृष्टि को देखने के लिये एक आंख है जिसको दिव्य नेत्र, ज्ञान चक्षु या तीसरा नेत्र कहते हैं इसी आत्मा में ऊपर के मण्डलों से आने वाली आकाशवाणी देववाणी अनहदवाणी सुनने का कान भी है। इसका भेद प्रभु की प्राप्ति करने वाले सन्त महात्मा से ही मिलेगा। सबको मनुष्य शरीर इसीलिये मिला है कि ऐसे सन्त सत्गुरु की तलाश करे और जो भजन का प्रसाद वो दे उससे अपने आत्मा का कल्याण करा लें।उन्होंने कहा हमारे गुरु महाराज परम पूज्य बाबा जयगुरुदेव जी महाराज जीवात्माओं के कल्याण और अच्छे समाज के निर्माण के लिये अथक परिश्रम किया इस चतुरीपुर गांव में भी पावन सत्संग कार्यक्रम हुये। बाबा जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी ने कहा गुरु की महिमा अनन्त है। गुरु के बिना इस संसार की कोई विद्या नहीं सीख सकते तो गुरु के बिना भवसागर से पार कैसे जा सकते हैं। तीन लोक नौ खण्ड में गुरु से बड़ा न कोय करता करै, न कर सकै,गुरु करै सो होय।ऐसे समर्थ गुरु जब भाग्य से मिल जाते हैं तो हमें यह समझाते हैं कि इसी मनुष्य शरीर में प्रभु को पाने का एक दरवाजा है जिसको तीसरा तिल, ज्ञान चक्षु, शिव नेत्र कहते हैं। ऐसे भेदी गुरु ही अपनी दया करके कलयुग की साधना सुरत, शब्द योग (नाम योग) का मार्ग देकर जीवों से साधना कराके भवसागर से पार कर देते हैं। क्योंकि यह कलयुग है इसमें मानव की आयु सीमा घटकर मात्र 100 वर्ष ही रह गई, उसमें भी अशुद्ध खान-पान के कारण अल्प आयु में भी मृत्यु होने लगी है। हमारे गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने इसीलिये शाकाहार पर विशेष जोर दिया और कहा कि यदि शरीर को, परिवार को, समाज को सुखी देखना चाहते हो तो शाकाहार को अपनाना जरूरी है। शाकाहार के अभाव में ही इन्सानों का चरित्र पतन हो गया। इन्सान दुनियां के ऐशो इशरत शराबों, कबाबों में फंस गया इसी में सुख ढूढ़ने लगा।
जीएसटी में ईडी व ऑनलाइन व्यापार को समाप्त करे सरकार-डॉ.सुमंत गुप्ता
अब उसे यही होश नहीं रहा कि क्या अच्छा और क्या बुरा है? आँखों में मां, बहन, बेटी की पहचान खतम हो गई। जबकि चरित्र ही इन्सानों की सबसे बड़ी पूंजी है। इसीलिये सभी धार्मिक लोगों से, समाज सेवियों से, शुभ चिन्तकों से अपील है कि अच्छे समाज के निर्माण में अपना-अपना सहयोग प्रदान करें। लोगों को शाकाहारी-सदाचारी बनायें, शराब छुड़ायें।आयोजन में चतुरीपुर ग्रामवासियों ने अपना प्रसंसनीय सहयोग किया।कार्यक्रम में भारी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा।इस अवसर पर जिला संगत मैनपुरी के अध्यक्ष पंचम सिंह,आयोजन समिति के सदस्य राजेन्द्र सिंह,मुलायम सिंह,उमाकांत यादव,रणवीर सिंह,के.के. एवं संस्था के महामन्त्री बाबूराम यादव,मथुरा आश्रम के प्रबन्धक व प्रान्तीय अध्यक्ष उ.प्र. सन्तराम चौधरी,बिहार प्रदेश के अध्यक्ष मृत्युन्जय झा,दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष विजय पाल सिंह,संगत कन्नौज के अध्यक्ष डा. रवीन्द्र प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।सत्संग के बाद धर्म यात्रा अगले कार्यक्रम कुल्लू खेड़ा वि.ख. सौरीख कन्नौज के लिये प्रस्थान कर गई। यहां मंगलवार को 12 बजे से सत्संग समारोह आयोजित है।