उत्साह के साथ हिंदी सीख रहे पाकिस्तानी

भारत (learning) और पाकिस्तान के बीच तमाम मतभेद हैं। इसके बावजूद भी इनकी संस्कृति और सामाजिक ढांचा करीब एक जैसा ही है। दोनों देशों की भाषाओं में 98% शब्दावली और उच्चारण समान हैं। हिंदी बहुत मजबूत भाषा है और यह अरबी, फारसी और अंग्रेजी के बाद शीर्ष भाषाओं (learning)में से एक है।
भले ही हिंदी भाषी भारत में अधिक हैं, लेकिन पाकिस्तान में भी यह भाषा आम बोलचाल में शामिल है। भारत के साथ बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए कई पाकिस्तानी उत्साह के साथ हिंदी सीख रहे हैं। एनयूएमएल में दक्षिण एशियाई भाषा विभाग की स्थापना 1973 में हुई थी।
इसका मकसद सशस्त्र बलों के जवानों और सरकार के अफसरों को हिंदी सिखाना था। हिंदी के विशेषज्ञ और प्रसिद्ध इतिहासकार इकबाल कैसर कहते हैं कि पाक की अन्य भाषाओं की तरह, हिंदी को भी एक राष्ट्र-एक भाषा नीति के कारण नुकसान उठाना पड़ा। जब पाकिस्तान बना तो उर्दू भाषा को यहां विशेष दर्जा दिया गया।
जबकि यहां के अधिकतर इलाकों में उर्दू बोली ही नहीं जाती थी। पाक की सबसे पुरानी पंजाब यूनिवर्सिटी में हिंदी विभाग की स्थापना 1983 में यूनिवर्सिटी ओरिएंटल कॉलेज में हुई थी। तब हिंदी की सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कक्षाएं शुरू की गई थीं। पाकिस्तानी उत्साह के साथ हिंदी सीख रहे लाहौर में पंजाब यूनिवर्सिटी, इस्लामाबाद की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ मॉडर्न लैंग्वेजेज और कराची यूनिवर्सिटी सहित कई शीर्ष संस्थान हिंदी कोर्स चल रहे हैं।