पाकिस्तान जासूसी करने वाले भारतीय को 10 लाख रुपए एक्स ग्रेशिया (मुआवजा) देने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट(x gracia) ने सोमवार को केंद्र सरकार को पाकिस्तान की जासूसी करने वाले भारतीय को 10 लाख रुपए एक्स ग्रेशिया(x gracia) (मुआवजा) देने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उसका पाकिस्तानी सेना से कोई लेना-देना नहीं है। उन्हें 1987 में रिहा कर दिया गया और दो साल तक पाकिस्तान के भारतीय दूतावास में रखा गया। 1989 में वे भारत वापस आ गए।
और उन्हें सीक्रेट ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान में भेजा गया। अंसारी भाग्यशाली रहे और सौंपे गए काम को दो बार पूरा कर लिया। लेकिन तीसरी बार पाकिस्तानी रेंजरों ने उन्हें पकड़ लिया।महमूद अंसारी नाम के इस शख्स का दावा था कि उसे सीक्रेट मिशन पर पाकिस्तान भेजा गया था। लेकिन वहां पकड़े जाने के बाद उसे 14 साल तक जेल में रखा गया।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट ने की। कोर्ट ने फैसला दिया कि अनुग्रह राशि के तौर पर 10 लाख रुपए, 3 हफ्ते के भीतर याचिकाकर्ता को दिए जाएं। हालांकि इससे ये न समझा जाए कि ये पैसा उनके दायित्व या अधिकार से जुड़ा है। 2017 में राजस्थान हाईकोर्ट ने भी देरी और अधिकार क्षेत्र का हवाला देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी।
इसके बाद अंसारी ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। 1989 में जब अंसारी रिहा होकर लौटे तो उन्होंने नौकरी के लिए अधिकारियों से संपर्क किया। उन्हें बताया गया कि उनकी सेवाएं 31 जुलाई 1980 को ही समाप्त कर दी गईं। प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने भी 2000 में बहाली और बैकवेज की उनकी याचिका खारिज कर दी।
सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी ने कहा था कि राज्य का याचिकाकर्ता से कोई लेना-देना नहीं है। अंसारी को आखिरी बार 19 नवंबर 1976 को पेमेंट की गई थी। 1977 के बाद से उन्होंने अपनी सैलरी नहीं ली है।