भारत-अफगानिस्तान संबंधों में पाकिस्तान (पाकिस्तान)बन सकता है रोड़ा

नई दिल्ली:भारत ने अफगानिस्तान तालिबान के साथ द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत की है लेकिन पाकिस्तान को यह खटकने लगा है। पाकिस्तान (पाकिस्तान) भारत-अफगानिस्तान संबंधों को कमजोर करने के लिए बड़े स्तर पर प्रोपगेंडा पर काम कर रहा है। अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के डिप्लोमैट्स के मुताबिक इस्लामाबाद ने अपने राजनयिक मिशनों को ‘एंटी इंडिया नैरेटिव’ पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा है।
पाकिस्तान ने मनमुताबिक इतिहास कुरेदना शुरू किया
पाकिस्तान ने अपने मिशनों से यह कहा है कि अफगानिस्तान सहित संबंधित देशों को यह याद दिलाया जाए कि भारत ने इतिहास में तथाकथित सरकारों का समर्थन करते हुए तालिबान का खुलकर विरोध किया है और उसे प्रॉक्सी आतंकी गुट कहा है। इसके साथ ही इन चीजों पर भी फोकस किया जाए कि भारत अफगानिस्तान में प्रभाव बनाकर पाकिस्तान को असंतुलित करना चाहता है।
भारत और अफगानिस्तान संबंध
भारत और अफगानिस्तान के बीच सभ्यतागत संबंध हैं। 9/11 हमले के बाद भारत ने अमेरिका के कहने के बाद भी अफगानिस्तान में सेना भेजने से इनकार कर दिया है। भारत सालों से अफगानिस्तान के विकास के लिए काम कर रहा है। भारत ने अफगानिस्तान में कई स्कूल, सड़क, अस्पताल, बांध सहित कई इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े प्रोजेक्ट्स को पूरा किया है। करीब 10 महीने से काबुल स्थित भारतीय एंबेसी बंद होने के बावजूद भारत ने अफगानिस्तान के लोगों को मानवीय मदद की है।
22 जून को अफगानिस्तान में आए भूकंप के बाद भारत ने प्रभावितों के मानवीय सहायता के लिए एक भारी-भरकम IL-76 विमान भेजा है। भारत इतने बड़े स्तर पर मदद करने वाला एकमात्र देश है। भारत ने लगातार अफगानिस्तान के लोगों के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया है। यही बातें पाकिस्तान को खटक रही है कि भारत क्यों अफगानिस्तान में फिर से एक्टिव हो रहा है।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी कि कर्ते परवान गुरुद्वारा में हुए हमले के पीछे पाकिस्तान हो। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट खोरासन ने ली है जिसके 50 फीसद से अधिक कैडर पाकिस्तान के रावलपिंडी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं।
5 जून को अफगानिस्तान तालिबान के रक्षा मंत्री ने माना था कि अफगान सैनिकों की भारत में ट्रेनिंग पाकिस्तान को पसंद नहीं है। इससे पहले भी तालिबान ने कश्मीर को लेकर भड़काऊ बयान थे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान को जब तक एक रणनीतिक स्थान के तौर पर बनाए रखता है और अफगानिस्तान तालिबान इसकी मंजूरी देता है तो यह अफगानिस्तान के आम लोगों के लिए सबसे अधिक नुकसानदेह साबित होगा।
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