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प्रदेश के 18 बड़े बांध में से 15 बांध 90% से ज्यादा तक भर चुके

जयपुर/बीकानेर । मानसून (dam) ने इस बार 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। तकरीबन एक दशक में ऐसा पहली बार है, जब प्रदेश के 18 बड़े बांध में से 15 बांध (dam) 90% से ज्यादा तक भर चुके हैं। सिर्फ तीन बांधों में फिलहाल पानी कम है। केवल 2018 के मानसून में सामान्य से छह प्रतिशत कम पानी बरसा। 2011 से 2017 तक और 2019 से 2021 तक बारिश का आंकड़ा पिछले साल से ज्यादा में ही रहा है।

उधर, सितंबर में मानसून के एक बार फिर एक्टिव होने की संभावना है। नया वेदर सिस्टम बनते ही बारिश का अगला दौर शुरू होगा। चित्तौड़गढ़ का राणा प्रताप सागर बांध 94 फीसदी, कोटा बैराज 95 फीसदी, बांसवाड़ा का माही सागर 93 फीसदी भरा हुआ है। धौलपुर का पार्वती डेम, डूंगरपुर के सामनकला और राजसमंद डेम में पिछले साल की तुलना में इस बार पानी कम है।

टोंक के हारो, बीसलपुर और गलवा तीनों बांध छलक रहे हैं। बूंदी का गुढा और प्रतापगढ़ में जाखम बांध भी अपनी क्षमता तक पूरे भरे हैं। कभी पूर्वी राजस्थान में तो कभी पश्चिमी राजस्थान में बारिश ने लगातार बांधों को भरने का काम किया।

दक्षिणी राजस्थान भी सूखा नहीं रहा। हर तरफ बारिश होने से अधिकांश बांधों में करीब 1 साल तक पीने का पानी आ चुका है। दरअसल, राजस्थान में बीसलपुर, माही, राणा सागर और जवाई बांध समेत 18 बड़े बांध हैं, जिसमें पांच पूरी तरह लबालब हैं। ये हालात तब है, जब इन बांधों के गेट खोलकर पानी भी छोड़ा गया है।

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