कोरोना से मौत होने पर निगमकर्मियों के परिवार को मिलेगी नौकरी
नई दिल्ली। कोरोना संकट में जान जोखिम डालकर कार्य कर रहे उत्तरी निगम के कर्मियों के लिए नई नीति आएगी। इसके तहत अगर किसी कर्मी की कोरोना के चलते जान जाती है तो उसके परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी दी जाएगी। अगर कोई कर्मी स्थायी है तो उसके परिवार के एक सदस्य को स्थायी और अनुबंधित कर्मी है तो उसके परिवार के एक सदस्य को अनुबंधित आधार पर नौकरी दी जाएगी। इस नीति का उद्देश्य निगम कर्मियों का मनोबल बढ़ाना है, ताकि वे बिना किसी डर के कोरोना से निपटने में कार्य कर सकें। उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने बताया कि निगमकर्मियों की ओर से लॉकडाउन में किए गए कार्यो की वजह से लोगों को संक्रमण से बचाने में मदद मिली। निगम के कर्मी न केवल घर-घर जाकर कोरोना के मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों का सर्वे कर रहे थे, बल्कि निगम का कर्मी सफाई करने भी जा रहा था। इसके साथ ही वे सैनिटाइजेशन के कार्य में भी लगे थे। कोरोना के मरीज आने पर या फिर इलाके को कंटेनमेंट जोन बनने पर लोग उन इलाकों में जाने से डरते थे, लेकिन निगम का कर्मी सर्वे से लेकर सैनिटाइजेशन का कार्य करता था। ऐसे में उनका मनोबल बना रहे और वे बिना परिवार की चिंता किए काम कर सकें, इसके लिए हमने नीति लाने का फैसला लिया है। इस फैसले के आधार पर निगम के किसी भी कर्मी की कोरोना से मृत्यु होने पर उसके परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले दक्षिणी दिल्ली नगर निगम भी इस तरह की नीति को लागू कर चुका है। निगम के अनुसार भले ही नीति को अब मंजूरी दी जा रही है, लेकिन यह प्रभावी लॉकडाउन के बाद से होगी। ऐसे में उन कर्मियों के परिवार को इसका लाभ होगा, जो कोरोना में ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर अपनी जान गंवा बैठे। नगर निगम के विभिन्न विभागों में तैनात एक दर्जन कर्मियों की कोरोना की वजह से जान जा चुकी है। नीति लागू होने के बाद उन सभी के परिवार के एक सदस्य को नौकरी निगम में योग्यता के आधार पर दी जाएगी।