दल-बदलने पर भी नहीं होती कार्रवाई, संविधान में विधानसभा स्पीकर और उपाध्यक्ष के लिए क्या है !
चंडीगढ़। विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता। संवैधानिक व्यवस्था में विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष मूल पार्टी की सदस्यता छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं, ताकि सदन में वे खुद को तटस्थ रख सकें। इसके बावजूद हरियाणा में अशोक अरोड़ा इकलौते विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं, जिन्होंने सत्तारूढ़ इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था। उनके अलावा किसी भी विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष ने मूल पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा देने की हिम्मत नहीं दिखाई।
विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पर दलबदल विरोधी कानून लागू नहीं होता क्योंकि संवैधानिक व्यवस्था में वे मूल पार्टी की सदस्यता छोड़ने के लिए स्वतंत्र हैं। इसका मुख्य उद्देश्य सदन में उनकी निष्पक्षता सुनिश्चित करना है। भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के इसका प्रवधान है। हरियाणा में अशोक अरोड़ा एकमात्र विधानसभा अध्यक्ष थे जिन्होंने सत्तारूढ़ दल से त्यागपत्र दिया था।
- विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पार्टी की सदस्यता छोड़ने के लिए स्वतंत्र।
- हरियाणा में अशोक अरोड़ा इकलौते विधानसभा अध्यक्ष थे जिन्होंने छोड़ी थी पार्टी।
हरविंदर कल्याण बने हैं विधानसभा स्पीकर
हरियाणा में वर्तमान में 15वीं विधानसभा का गठन हुआ है। विधानसभा अध्यक्ष के लिए घरौंड़ा से विधायक हरविंदर कल्याण को स्पीकर बनाया गया है। हरविंदर कल्याण घरौंड़ा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बने है। हरविंदर कल्याण हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी हैं। इनके पिता चौधरी देवी सिंह ने चौधरी देवीलाल के साथ सक्रिय राजनीति की और चुनाव भी लड़े। बता दें कि हरियाणा में 5 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए थे। जिसका परिणाम 8 अक्टूबर को आया था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने बहुमत हासिल किया था। हरियाणा में भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है।